facebookmetapixel
Year Ender 2025: टैरिफ, पूंजी निकासी और व्यापार घाटे के दबाव में 5% टूटा रुपया, एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बनाStock Market 2025: बाजार ने बढ़त के साथ 2025 को किया अलविदा, निफ्टी 10.5% उछला; सेंसेक्स ने भी रिकॉर्ड बनायानिर्यातकों के लिए सरकार की बड़ी पहल: बाजार पहुंच बढ़ाने को ₹4,531 करोड़ की नई योजना शुरूVodafone Idea को कैबिनेट से मिली बड़ी राहत: ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर लगी रोकYear Ender: SIP और खुदरा निवेशकों की ताकत से MF इंडस्ट्री ने 2025 में जोड़े रिकॉर्ड ₹14 लाख करोड़मुंबई में 14 साल में सबसे अधिक संपत्ति रजिस्ट्रेशन, 2025 में 1.5 लाख से ज्यादा यूनिट्स दर्जसर्वे का खुलासा: डर के कारण अमेरिका में 27% प्रवासी, ग्रीन कार्ड धारक भी यात्रा से दूरBank Holiday: 31 दिसंबर और 1 जनवरी को जानें कहां-कहां बंद रहेंगे बैंक; चेक करें हॉलिडे लिस्टStock Market Holiday New Year 2026: निवेशकों के लिए जरूरी खबर, क्या 1 जनवरी को NSE और BSE बंद रहेंगे? जानेंNew Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल पर

सिर्फ आयोग ही टैरिफ में संशोधन कर सकता है

Last Updated- December 09, 2022 | 11:40 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया है कि विद्युत दरों में संशोधन का अधिकार सिर्फ उत्तर प्रदेश विद्युत नियमन आयोग के पास ही है। किसी भी तरह के संशोधन के लिए आयोग से संपर्क किया जाना चाहिए।


न्यायालय ने यह बात ‘बदरी केदार पेपर लिमिटेड बनाम यूपी इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन’ मामले में कही है। राज्य के उद्योगों में उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा जारी सर्कुलर को लेकर भ्रम बना हुआ था। लगभग 10 रिट याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की गईं जिन्हें खारिज कर दिया गया था।

हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी की अपील को मंजूर कर लिया और जोर देकर कहा कि यूपी इलेक्ट्रिसिटी रिफर्म्स ऐक्ट 1999 के तहत निगम टैरिफ में बदलाव नहीं कर सकता, यह आयोग का कार्य था।

निर्यातक पर फौजदारी नहीं, दीवानी मामला

अगर विदेशी खरीदार माल में कमी की शिकायत करता है तो ऐसी स्थिति में किसी निर्यातक पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने ‘शेरॉन मिशेल बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु’ मामले में यह फैसला दिया है। इस मामले में टीएमएस फैशन प्राइवेट लिमिटेड एक प्रमाणित एजेंट है।

इसने आरबी अपैरल्स इम्पेक्स से संपर्क किया जो जर्मनी में खरीदारों के लिए कार्डिगन की आपूर्ति के लिए होजरी गारमेंट के निर्माण में लगी है। लेकिन जब माल की खेप जर्मनी पहुंची तो खरीदार ने कई कमियां निकालते हुए इसे ठुकरा दिया।

इसके बाद टीएमएस फैशन और इसके प्रबंधकों एवं निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया। ये लोग इस मामले को चुनौती देने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में चले गए। लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने इनके अनुरोध को ठुकरा दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने इनके तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि यह बिक्री के अनुबंध से जुड़ा दीवानी मामला है और इसलिए सामान की खेप को ठुकराए जाने के लिए प्रबंधकों पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

अवैध इस्तेमाल वाले वाहन के मालिक को मुआवजा नहीं

सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि किसी बीमित निजी वाहन का मालिक उस स्थिति में किसी तरह के मुआवजे का हकदार नहीं है जब एक टैक्सी के रूप में गैर-कानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा उसका वाहन सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाता है।

न्यायालय ने नैशनल इंश्योरेंस कंपनी की एक अपील पर सुनवाई करते हुए कहा है कि वाहन का गैर-कानूनी इस्तेमाल अनुबंध का उल्लंघन है और ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी बीमित वाहन के मालिक को किसी तरह का मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार नहीं है।

नैशनल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा यह अपील नैशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) और स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिडे्रसल कमीशन, छत्तीसगढ़ द्वारा पारित दिशा-निर्देशों को चुनौती देने के लिए दायर की गई।

दोनों उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को दुर्घटना का शिकार हुई एक मारुति वैन के मालिक को 90,000 रुपये का मुआवजा चुकाने का आदेश दिया था।

First Published - February 1, 2009 | 11:11 PM IST

संबंधित पोस्ट