सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने टीवी रेटिंग एजेंसियों के लिए बनाए गए मौजूदा नियामकीय ढांचे में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव दिया है। इन बदलावों का उद्देश्य इस क्षेत्र में नई संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाना और आधुनिक योग्यता मानदंड लागू करना है।
गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में मंत्रालय ने बताया कि वह 2014 की टीवी रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशानिर्देश में कई प्रमुख धाराओं को संशोधित करने जा रहा है। मंत्रालय ने इस संबंध में 30 दिनों के भीतर आम जनता और संबंधित पक्षों से सुझाव भी मांगे हैं।
प्रस्तावित संशोधनों में सबसे बड़ा परिवर्तन धारा 1.5 और 1.7 को हटाने का है, जो अब तक टीवी रेटिंग एजेंसियों के निदेशक मंडल के सदस्यों को प्रसारण, विज्ञापन या संबंधित व्यवसायों से जुड़ने से रोकते थे। साथ ही क्रॉस-होल्डिंग पर भी पाबंदी थी, जो अब हटाई जा सकती है।
2014 की गाइडलाइंस के तहत कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी रेटिंग एजेंसी में 10% से अधिक हिस्सेदारी नहीं रख सकती थी, ताकि हितों का टकराव न हो। लेकिन इन सीमाओं को हटाने से नए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और एजेंसियों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश आसान हो सकता है।
जहां पहले कंपनियों को केवल अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MOA) में यह उल्लेख करना होता था कि वे परामर्श या सलाहकार सेवाएं नहीं देंगी, अब नए संशोधन में इसे स्पष्ट रूप से निषिद्ध कर दिया गया है।
संशोधित दिशा-निर्देश में कहा गया है कि कंपनी कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं करेगी, जैसे परामर्श या सलाहकार सेवा, जिससे उसके रेटिंग कार्य में हितों का टकराव उत्पन्न हो सकता हो।”
इन संशोधनों से टीवी रेटिंग की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा आने की उम्मीद है। साथ ही डिजिटल युग में काम कर रही नई टेक्नोलॉजी आधारित एजेंसियों को भी इस क्षेत्र में आने का अवसर मिलेगा।