दिवाला और धनशोधन संहिता (आईबीसी) ने वर्ष 2016 की स्थापना से अभी तक 26 लाख करोड़ रुपये के कुल ऋणों का निपटान किया है। क्रिसिल रेटिंग्स के विश्लेषण के मुताबिक के मुताबिक 12,000 हजार फंसे हुए कर्जदाताओँ के 12 लाख करोड़ रुपये के कर्ज का प्रत्यक्ष निपटान किया गया है। लिहाजा यह चूक करने वाले उधारकर्ताओं पर इस संहिता के प्रभाव को दर्शाता है।
इससे भी महत्त्वपूर्ण यह है कि इसने ऋण लेने वालों के रुख में अहम बदलाव किया है। इसके चलते राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) में आवेदन दाखिल होने से पूर्व 14 लाख करोड़ रुपये के 30,000 मामलों का निपटान हो गया।
वर्ष 2016 के बाद विभिन्न ऋण समाधान तरीकों से कुल 48 लाख करोड़ रुपये के ऋणों का समाधान किया गया है। इस क्रम में आईबीसी के तहत सर्वाधिक वसूली दर 30 से 35 प्रतिशत है। हालांकि एसएआरएफएईएसआई से करीब 22 प्रतिशत, डीआरटी से करीब सात प्रतिशत और लोक अदालत से महज तीन प्रतिशत है।