कानून

अदाणी मामले में विशेषज्ञ समिति पर केंद्र का सुझाव सुप्रीम कोर्ट को स्वीकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम विशेषज्ञों का चयन करेंगे और पूरी पारदर्शिता बनाए रखेंगे; अगर हम सरकार से नाम लेते हैं तो यह सरकार द्वारा समिति गठन जैसा होगा

Published by
भाविनी मिश्रा
Last Updated- February 17, 2023 | 10:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन पर केंद्र सरकार के सीलबंद सुझाव को स्वीकार करने से आज इनकार कर दिया। अदाणी समूह की कंपनियों के ​खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और शेयर बाजार पर उसके प्रभाव की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जानी है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा, ‘हम विशेषज्ञों का चयन करेंगे और पूरी पारदर्शिता बनाए रखेंगे। अगर हम सरकार से नाम लेते हैं तो यह सरकार द्वारा गठित समिति जैसा होगा। समिति में (लोगों का) पूर्ण विश्वास होना चाहिए।’

इस बीच सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का प्रतिनि​धित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समिति के लिए नामों का सुझाव देते हुए शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी। साथ ही केंद्र ने अदालत से आग्रह किया कि समिति के गठन में देर नहीं होनी चाहिए। मगर शीर्ष अदालत ने ‘पूर्ण पारदर्शिता’ का हवाला देते हुए केंद्र के सुझाव मानने से इनकार कर दिया।

अदालत ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा, ‘यदि हम सुझावों को स्वीकार करते हैं तो हमें दूसरे पक्ष को भी उसके बारे में बताना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।’

पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिंह और न्यामूर्ति जेबी परदीवाला भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि अदालत विशेषज्ञ समिति के सदस्यों के बारे में सरकार से सुझाव नहीं लेगी ब​ल्कि विशेषज्ञों का चयन स्वयं करेगी। अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

पीठ ने कहा, ‘समिति के सदस्यों का चयन न्यायाधीश स्वयं करेंगे और इस मामले में केंद्र या याचियों के किसी भी सुझाव पर विचार नहीं किया जाएगा। किसी को भी समिति पर सवाल उठाने या सदस्यों की योग्यता पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’

सरकार की दलील पर न्यायालय ने कहा, ‘आपने (केंद्र ने) कहा है कि बाजार पर प्रभाव शून्य है। मगर आंकड़े बताते हैं कि निवेशकों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले की शुरुआत में ही इसे नियामकीय विफलता नहीं मान सकती।

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच करने वाली समिति में कोई ‘निवर्तमान’ न्यायाधीश नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने पिछले शुक्रवार को केंद्र सरकार और बाजार नियामक सेबी को नियामकीय एवं वैधानिक ढांचे में सुधार के लिए सुझाव देने को कहा था ताकि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट जैसे मामले भविष्य में न हों।

अदालत अधिवक्ता एमएल शर्मा और विशाल तिवारी की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के नेथन एंडरसन और भारत एवं अमेरिका में उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से निवेशकों का शोषण करने और अदाणी समूह के शेयरों में जानबूझकर गिरावट पैदा करने के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई है।

इस बीच अधिवक्ता विशाल तिवारी की याचिका में बड़ी कंपनियों को 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण को मंजूरी देने की नीति पर नजर रखने के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।

इस मामले में तीसरी याची कांग्रेस नेता जया ठाकुर हैं। उन्होंने अपनी याचिका में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के खिलाफ अदाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में कथित तौर पर बाजार से अ​धिक भाव पर निवेश करने के मामले की जांच करने की मांग की है।

First Published : February 17, 2023 | 10:06 PM IST