उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को आज थोड़ी राहत देते हुए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया चुकाने के लिए 10 साल की मोहलत दी। हालांकि अदालत ने कहा कि कुल बकाये का 10 फीसदी अग्रिम जमा करना होगा। आदेश के मुताबिक दूरसंचार कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए शपथ पत्र देना होगा। भुगतान की समयसीमा 1 अप्रैल, 2021 से शुरू होगी और पहली किस्त 31 मार्च, 2021 से पहले अदा करनी होगी।
अदालत ने दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों, चेयरमैन या मुख्य कार्याधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बकाया के भुगतान के बारे में चार सप्ताह में शपथ पत्र या व्यक्तिगत गारंटी दें। न्यायालय ने आगाह करते हुए कहा है कि एजीआर के बकाये की किस्त के भुगतान में चूक की स्थिति में उन पर जुर्माना और ब्याज लगेगा। साथ ही ऐसा नहीं करना न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी।
दूरसंचार विभाग की गणना के आधार पर भारती एयरटेल पर 43,780 करोड़ रुपये का बकाया है जिनमें से कंपनी ने 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। वोडाफोन आइडिया ने 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जबकि उस पर कुल 50,399 करोड़ रुपये का बकाया है। टाटा टेलीसर्विसेज ने 4,197 करोड़ रुपये चुकाए हैं और करीब 12,601 करोड़ रुपये बकाया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार भुगतान के लिए कम समयसीमा तय किए जाने से कंपनियों के नकदी प्रवाह पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा और प्रति ग्राहक औसत आय मेें उन्हें अच्छा खासा इजाफा करना होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि 10 साल की समयसीमा कर्ज से दबी वोडाफोन आइडिया के लिए बड़ी चुनौती होगी। कंपनी ने अदालत से बकाया भुगतान के लिए 20 साल की मोहलत की गुहार लगाई थी। स्वतंत्र विश्लेषक हेमंत जोशी ने कहा, ‘यह निराशाजनक है, खास तौर पर तब जब सरकार 20 साल की मोहलत देने के लिए तैयार थी। इससे वोडाफोन आइडिया के लिए स्थितियां काफी कठिन हो जाएंगी और उसके मूल्यांकन में भी कमी आएगी तथा ग्राहक भी कंपनी से किनारा कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो उद्योग में दो कंपनियों का वर्चस्व हो जाएगा।’
अदालत के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयर में 15 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि भारती एयरटेल 5.1 फीसदी फायदे में बंद हुआ। बकाया चुकाने की वजह से भारती को एबिटा की 22 फीसदी नकदी लगानी होगी, वहीं वोडा-आइडिया को एबिटा का 111 फीसदी देना होगा। इसकी भरपाई के लिए वोडा-आइडिया को प्रति ग्राहक औसत आय में 10 से 27 फीसदी का इजाफा करना होगा। एजीआर देनदारी से दूरसंचार कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल पर भी असर पड़ेगा। क्रिसिल रेटिंग्स के नितेश जैन ने कहा कि इससे शुल्क दरें बढ़ानी होंगी और कंपनियों को परिचालन जारी रखने के लिए मदद की जरूरत होगी।
अदालत ने कहा कि दिवालिया प्रक्रिया में गई कंपनियों की स्पेक्ट्रम बिक्री पर निर्णय राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) करेगा।
