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इंडिया या भारत? देश का नाम बदलने पर SC का क्या मत ?

सरकार 18-22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के दौरान देश का आधिकारिक नाम इंडिया से बदलकर 'भारत' करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकती है।

Last Updated- September 06, 2023 | 10:06 AM IST
Supreme Court

देश में इंडिया (INDIA) का नाम बदलकर भारत (BHARAT)रखने की चर्चाओं ने अचानक से बल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया से लेकर आम नागरिकों में देश के नाम को लेकर खूब चर्चाएं हो रही है। हालांकि, रिपब्लिक ऑफ इंडिया का नाम बदलकर ‘भारत’ करने का प्रस्ताव ऐसा नहीं है कि पहली बार या अचानक से आया हो।

बता दें कि मीडिया में ऐसी अटकलें सामने आई हैं कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 18-22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के दौरान देश का आधिकारिक नाम इंडिया से बदलकर ‘भारत’ करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकती है।

इसी तरह एक मामले में साल 2020 में दिल्ली के एक व्यक्ति ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थी। इसमें उसने दावा किया था कि इस तरह का संशोधन “इस देश के नागरिकों को औपनिवेशिक अतीत (colonial past) से छुटकारा दिलाएगा”।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से उस याचिका पर विचार करने के लिए कहा था, जिसमें संविधान में संशोधन करने और इंडिया शब्द को ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ से बदलने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिका में में तर्क दिया गया है कि इंडिया शब्द को ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ से बदलने से “हमारी अपनी राष्ट्रीयता में गर्व की भावना पैदा होगी।”

2020 से सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा, संविधान में भारत को पहले से ही ‘भारत’ कहा गया है।

तब वकील ने कहा था कि याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि उन्हें इस संबंध में संबंधित प्राधिकारी को अभ्यावेदन देने की अनुमति दी जानी चाहिए।

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने टिप्पणी की कि याचिका को संबंधित प्राधिकारी द्वारा एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाना चाहिए।

याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में इस आशय से संशोधन करने की मांग की गई है कि यह भारत को छोड़कर देश को भारत/हिंदुस्तान के रूप में संदर्भित करता है।

याचिका में तत्कालीन संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ रखने के पक्ष में एक “मजबूत लहर” थी।

याचिका में कहा गया था, “अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब भारतीय लोकाचार के साथ पहचान करने के लिए हमारे शहरों का नाम बदला जा रहा है।”

क्या हर कोई प्रस्तावित नाम बदलने का समर्थन कर रहा है?

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा, राजीव चंद्रशेखर सहित कई भाजपा नेता देश का नाम ‘भारत’ करने के समर्थन में सामने आए हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में शर्मा ने पोस्ट किया, “भारत गणराज्य। मुझे खुशी और गर्व है कि हमारी सभ्यता साहसपूर्वक अमृत काल की ओर आगे बढ़ रही है।”

इस बीच आईटी राज्य मंत्री ने ‘इंडिया’ शब्द पर छिड़ी बहस पर कहा, ”हमारा देश ‘भारत’ है, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए…..कांग्रेस को हर चीज से दिक्कत है।

हर कोई पक्ष में नहीं

देश के नाम आधिकारिक रूप से बदलने की चर्चाओं के बाद कई नेता भी ‘भारत’ नाम की बहस में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर इस कदम की निंदा की है।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इंडिया का नाम बदल कर भारत रखने के प्रस्ताव की आलोचना की है।

First Published - September 6, 2023 | 10:06 AM IST

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