प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की मूल भावना ‘जनभागीदारी’ है और हमें 130 करोड़ देशवासियों को साथ लेकर यह पर्व मनाना है।
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आयोजित किए जाने वाले समारोहों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करने के लिये गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘आजादी के अमृत महोत्सव का यह आयोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें स्वाधीनता संग्राम की भावना और उसके त्याग का साक्षात अनुभव हो सके। यह ऐसा पर्व होना चाहिए जिसमें देश के शहीदों को श्रद्धांजलि भी हो और उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प भी। जिसमें सनातन भारत के गौरव की भी झलक हो, जिसमें आधुनिक भारत की चमक भी हो।’
बैठक में राज्यों के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राजनीतिक हस्तियों, वैज्ञानिकों, आध्यात्मिक नेताओं, फिल्म व खेल जगत की हस्तियों ने भी हिस्सा लिया। मोदी ने कहा, ‘हमें 130 करोड़ देशवासियों को साथ लेकर, उन्हें साथ जोड़कर आजादी के 75 साल का यह पर्व मनाना है। जनभागीदारी इस आयोजन की, इस उत्सव की मूल भावना है।’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सुझाव दिया कि आजादी के 75 वर्ष के पड़ाव पर स्वतंत्रता आंदोलन, विचारों, उपलब्धियों, कार्यों और संकल्पों को लेकर आगे बढऩा है और इन सभी में देश के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं शामिल होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आज भारत वो सब कर रहा है, जिसकी कुछ साल पहले तक कल्पना नहीं होती थी। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ जब देश मनाएगा, तो देश उन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ेगा, उन्हें प्राप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाएगा, जो कभी असंभव लगते थे।’
सरकार ने गत 5 मार्च को आजादी के 75 साल होने के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 259 सदस्यीय उच्च स्तरीय राष्ट्रीय समिति गठित की थी। समिति के सदस्यों में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, 28 मुख्यमंत्री, गायिका लता मंगेशकर, संगीतकार ए आर रहमान, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमत्र्य सेन, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, लगभग सभी केंद्रीय मंत्री और कई राज्यपाल शामिल हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि आज की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और सुमित्रा महाजन, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और मौलाना वहीदुद्दीन खान ने कार्यक्रमों के संबंध में अपने सुझाव दिए। बयान के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सदस्यों के सुझाव लेने के लिए आगे भी इस प्रकार की बैठकों का दौर जारी रहेगा।
सदस्यों की ओर से आए सुझावों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महोत्सव में सनातन भारत के वैभव और आधुनिक भारत के तेज की झलक समाहित होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इस उत्सव में आध्यात्मिकता के साथ ही हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा व सामथ्र्य की झलक पेश होनी चाहिए। यह आयोजन 75 वर्षों की हमारी उपलब्धियों को दुनिया के समक्ष प्रदर्शित करेगा और अगले 25 सालों में हमारे संकल्पों के एक खाका पेश करेगा।’
उन्होंने कहा कि बगैर उत्सव के कोई भी संकल्प सफल नहीं हो सकता है। जब संकल्प उत्सव का स्वरूप लेता है तो उसमें लाखों लोगों की ऊर्जा और प्रण भी उससे जुड़ जाते हैं। प्रधानमंत्री ने ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों पर जोर देने का आग्रह किया जिनके बारे में अधिक चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि देश का शायद ही कोई ऐसा स्थान हो या कोई ऐसा कोना हो जहां से किसी न किसी ने अपना बलिदान नहीं दिया हो। उन्होंने कहा, ‘उन सबके बलिदान, उनकी कहानियां भी जब देश के सामने आएंगी तो वो अपने आप में बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत होने वाला है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक आयोजन का मकसद स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करना और भारत को लेकर उन्होंने जो सपना देखा था उसे उस ऊंचाई पर पहुंचाना शामिल है। यह समिति भारत की आजादी के 75 साल होने के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों की रूपरेखा के लिए नीति निर्देशन और मार्गदर्शन का काम करेगी। इसके तहत 15 अगस्त, 2022 के 75 हफ्ते पहले 12 मार्च, 2021 से आयोजनों की शुरुआत हो जाएगी, इसी दिन महात्मा गांधी के ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह की 91 वीं वर्षगांठ भी है।