बेनामी लेन-देन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के संशोधन की धारा 3(2) को असंवैधानिक बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये संशोधन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कोर्ट के मुताबिक कानून को पूर्वव्यापी लागू नहीं किया जा सकता। यानि कि संशोधित अधिनियम से पहले की गई बेनामी लेन-देन की सभी कार्रवाइयों पर ये लागू नहीं होता। इसे एक्ट लागू होने के दिन से ही लागू किया जा सकता है।
CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर याचिका पर ये फैसला सुनाया है।
क्या है बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम
बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बेनामी लेनदेन का निषेध करता है। पहली बार इसे 1988 में पारित किया गया था इसके बाद 2018 में इसमें संशोधन किया गया। संशोधित कानून एक नवम्बर 2016 से लागू हो गया था।
संशोधित बिल में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है, साथ ही, जुर्माने के साथ कैद का भी प्रावधान है। संशोधन ने बेनामी लेनदेन के लिए तीन से सात साल की जेल और बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 25% तक के जुर्माने को भी बढ़ा दिया। इसके अलावा, संशोधन अधिनियम में बेनामी लेनदेन के माध्यम से प्राप्त संपत्ति की जब्ती का प्रावधान शामिल था।