भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों (एचएफसी) के लिए मौजूदा कानून में सुधार करने का प्रस्ताव किया है। केंद्रीय बैंंक इन फर्मों का भी नियामक है।
रिजर्व बैंक ने अगस्त 2019 में नैशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) से एचएफसी के नियमनन का काम अपने हाथ में ले लिया था। उसके पहले एचएफसी का नियमन एनएचबी द्वारा तय किए गए नियमों के आधार पर होता था।
रिजर्व बैंक के मुताबिक उन नियमों में हाउसिंग फाइनैंस को लेकर कोई औपचारिक परिभाषा नहीं थी। वेबसाइट पर जारी मसौदे के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने इसके लिए एक औपचारिक परिभाषा दी है। हाउसिंग फाइनैंस में अब आवासीय इकाइयों की खरीद, निर्माण, पुनर्निर्माण, नवीकरण और मरम्मत कार्यों के लिए दिया जाने वाला ऋण शामिल होगा।
रिजर्व बैंक के मसौदे में कहा गया है, ‘मकान की मरम्मत, मकान को खरीदने या नया मकान बनाने या मौजूदा मकान के नवीकरण के अलावा अन्य सभी कर्ज को गैर आवासीय ऋण माना जाएगा।’
अपने मसौदा दिशानिर्देशों में रिजर्व बैंक ने एचएफसी को व्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण और व्यवस्था के लिए गैर महत्त्वपूर्ण में विभाजित किया है। 500 करोड़ रुपये और उससे ऊपर संपत्ति वाले और जमा न लेने वाले एचएफसी और संपत्ति के आकार के बगैर जमा कराने वाले सभी एचएफसी को व्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण एचएपसी की श्रेणी में रखा गया है। जिन एचएफसी का आकार 500 करोड़ रुपये से नीचे है, उन्हें व्यवस्था के लिए गैर महत्त्वपूर्ण की श्रेणी में रखा गया है।
मसौदे में कहा गया है कि गैर व्यवस्थित महत्त्वपूर्ण एचएफसी के लिए दिशानिर्देश कमोबेश सामान्य एनबीएपसी जैसे नियम होंगे। इसके बाद नकदी जोखिम ढांचे और नकदी कवरेज अनुपात, प्रतिभूतिकरण आदि के रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश एचएफसी पर लागू होंगे, जो एनबीएफसी के लिए बनाए गए हैं। इस तरह का तालमेल 2 साल में किया जाएगा और रिजर्व बैंक ने कहा है कि तब तक एचएफसी, एनएचबी के मानकों का पालन कर सकते हैं।
एचएफसी को एनबीएफसी के एक अन्य प्रारूप की तरह मानने के साथ रिजर्व बैंक के मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि एचएफसी के लिए थोड़ा अलग नियम पेश किए जाएं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि क्वालीफाइंग असेट से आशय हाउसिंग फाइनैंस या हाउसिंग के लिए मुहैया कराया जाने वाला फाइनैंस होगा, जो शुद्ध संपत्ति के 50 प्रतिशत से कम नहीं होगा, उसे क्वालीफाइंग असेट माना जा सकता है।
अगर एचएफसी मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें एनबीएफसी के रूप में माना जाएगा। निवेश और क्रेडिट कंपनियों (एनबीएफसी-आईसीसी) को अपने प्रमाणपतत्र को एचएफसी से बदलकर एनबीएफसी-आईसीसी करने के लिए संपर्क करना होगा। नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एचएफसी को रिजर्व बैंक के नए दिशानिर्देशों को चरणबद्ध तरीके से पालन के लिए 4 साल का वक्त दिया जाएगा।
