ई-कचरे से निपटने के लिए आया नीति पत्र

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:31 AM IST

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने ई-कचरे की समस्या से निपटने के लिए नीति पत्र तैयार किया है। यह भारत सरकार की सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने की व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल क्षेत्र के इस्तेमाल में शून्य या न्यूनतम कचरा सुनिश्चित किया जा सके।
सर्कुलर इकोनॉमी इन इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल सेक्टर नाम से जारी पत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स के जीवन चक्र पर ध्यान दिया गया है, जिसमें कच्चे माल को लेने से लेकर डिजाइन, विनिर्माण या उत्पादन का चरण, खपत से आखिरी वक्त (ई-कचरा) में प्रबंधन और द्वितीयक कच्चे माल का इस्तेमाल शामिल है।
सर्कुलर इकोनॉमी ऐसी अवधारणा है, जिसे धीरे धीरे पूरी दुनिया में जगह मिल रही है। इंटरनैशलन टेलीकम्युनिकेशन यूनियन, वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम, संयुक्त राष्ट्र व अन्य संगठन जोर दे रहे हैं कि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर से न्यूनतम कचरा सुनिश्चित किया जाए।
नीति पत्र में कहा गया है कि भारत वैश्विक रूप से उत्पादित कच्चे माल का तीसरा सबसे बड़ा खपत कर्ता देश है। अनुमानित रूप से यहां 2030 तक 15 अरब टन सामग्री की खपत होने का अनुमान है। इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरणों (ईईई) का विनिर्माण सामग्री के ज्यादा खपत पर निर्भर है, जिनमें लोहा, तांबा, चांदी, सोना, एल्युमीनियम, मैगनीज, क्रोमियम और जस्ते के अलावा अन्य दुर्लभ धातुएं शामिल हैं। इसकी निकासी, प्रकृति द्वारा इसके निर्माण की तुलना में बहुत ज्यादा है। ऐसे में सीई का तरीका अहम है, जिससे देश के लिए संसाधनों की जरूरत पूरी की जा सके।
भारत सरकार ने मार्च में कहा था कि सर्कुलर इकोनॉमी संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल के लिए जरूरी है और इसके लिए 11 समितियां गठित की गई थीं।

First Published : May 24, 2021 | 9:22 PM IST