मानसून के तीन हफ्ते गुजर जाने के बाद भी असमय हो रही बारिश ने उत्तर प्रदेश में धान की तैयार फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। बीते तीन दिन से प्रदेश के ज्यादातर जिलों में हो रही बारिश के चलते खेतों में धान की कटी फसल डूब कर खराब हुयी है तो कई स्थानों पर कटाई के लिए तैयार फसल धराशाई हो गयी है। आलू किसानों के लिए बारिश कहर बनकर आयी है वहीं रबी की कई फसलों की बोआई भी पिछड़ जाने की आशंका है।
प्रदेश के लगभग सभी जिलों में बीते दिनों से मोन्था तूफान का असर देखा जा रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों सहित राजधानी लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर, सीतापुर, लखीमपुर, गोंडा, बहराइच व श्रावस्ती में तेज बारिश हो रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की पछैती किस्म की बोआई होती है जिसके कटने का समय अक्टूबर के दूसरे हफ्ते से शुरू होता है। जहां ज्यादातर जगहों पर फसल कटकर खेतों में पड़ी थी वहीं कुछ जिलों में अभी कटाई का काम चल रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य व पश्चिम यूपी सहित बुंदेलखंड में तो धान की कटाई करीब करीब पूरी हो चुकी है पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी काम चल रहा है। तीन दिनों से हो रही बारिश के चलते कटाई पर असर पड़ने के साथ खड़ी फसल बरबाद हुयी है। एक अनुमान के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश में 70 फीसदी के लगभग धान की फसल खराब हुयी है। सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, महराजगंज व गोंडा जिलों में लेट वैराइटी के काला नमक धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हो गया है।
वहीं बेसमय होने वाली बारिश ने आलू की फसल को भी खासा नुकसान पहुंचा दिया है। किसानों का कहना है कि पानी भर जाने से ताजा बोए गए आलू के बीजों के खेतों में ही सड़ जाने का खतरा है। इसके बाद दोबारा बोआई के लिए भी अब की हालात में खेत को तैयार करने में समय लगेगा जिससे फसल पिछड़ेगी।
दूसरी ओर किसानों का कहना है कि अक्टूबर के आखिर में हुयी जोरदार बारिश के चलते रबी की अन्य फसलों की बोआई भी पिछड़ा जाएगी। उनका कहना है कि इस बार मानसून के आखिरी चरण में जमकर पानी बरसा था जिससे खेतों में पहले से ही काफी नमी थी। अब एक बार फिर से हुयी मूसलाधार बारिश के बाद खेतों में खासा पानी जमा हो गया है जिसके चलते अगले तीन-चार हफ्ते तक चना, मसूर, सरसो, तिल वगैरा की बोआई नहीं की जा सकेगी।