दक्षिणी केरल के कोल्लम जिले में इस साल हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (एचएफएमडी) के 1,300 मामले सामने आए हैं। एक विशेषज्ञ ने कहा कि टमैटो फ्लू ‘एचएफएमडी’ (एक वायरस के कारण होने वाली सामान्य बचपन की बीमारी) के जैसा ही है।
कोल्लम जिले में टमैटो फ्लू का पहला मामला 6 मई को उस समय दर्ज किया गया जब केरल ‘एचएफएमडी’ की एक लहर से जूझ रहा था। एचएफएमडी एक वायरल संक्रमण रोग है, जो आमतौर पर छोटे बच्चों को होता है। टमैटो फ्लू को भी इसी श्रेणी का वायरस समझा जा रहा है क्योंकि इसमें मरीज के शरीर पर टमाटर के आकार के फफोले पड़ जाते हैं।
पिछले सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जारी एक सलाह पत्र में बताया गया कि 6 मई से 26 जून के बीच केरल में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में टमैटो फ्लू के 82 मामले दर्ज किए गए हैं। तमिलनाडु, उड़ीसा और हरियाणा में भी टमैटो फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं। मुंबई के परेल में स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ सलाहकार डॉ फजल नवी कहते हैं, ‘टमैटो फ्लू एचएफएमडी के ही जैसा है। हम देख रहे हैं कि इस साल टमैटो फ्लू के मामले अधिक दर्ज हो रहे है। हालांकि यह एक अच्छा संकेत है कि टमैटो फ्लू की गंभीरता और जटिलता ‘एचएफएमडी’ की तुलना में कम है। अभी तक किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आई है।’
नवी कहते हैं कि प्रदूषण और सार्वजनिक गतिविधियों में कमी आने के कारण पिछले दो वर्षों में एचएफएमडी के कम मामले सामने आए थे। नवी कहते हैं, ‘अब हम देख रहे हैं कि स्कूल अपनी पूरी क्षमता के साथ खुल गए है, सामूहिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ रही हैं, गाड़ियों की आवाजाही भी बढ़ गई हैं। इस कारण एचएफएमडी जैसी बीमारियां भी बढ़ रही हैं। टमैटो फ्लू भी अन्य वायरल फ्लू की ही तरह है। यह खतरनाक नहीं है।’ केरल में इस फ्लू के संक्रमण पर नजर रखने वाले किसी भी स्वास्थ्य अधिकारी ने अभी तक टमैटो फ्लू के मामले की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
कोल्लम जिले में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘टमैटो फ्लू का कोई मामला हमारे सामने नहीं आया है। यह कावासाकी वायरस समूह से आता है। मई से जुलाई के बीच हमने एचएफएमडी के 1,300 से अधिक मामले देखे हैं, जिनका जिले में डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है।’ बुखार, थकान, मितली, उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण, चकत्ते और जोड़ों में दर्द टमैटो फ्लू के लक्षण हैं।
इस बीमारी से मुख्यत: 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे प्रभावित होते हैं। दो दिन बुखार रहने के बाद शरीर पर तथा जीभ, मसूड़ों, गालों के भीतर, हथेली और पैरों के तलवे में फफोले निकल आते हैं। कोल्लम में एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि यह वायरस हवा में फैलता है, इसलिए इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। वयस्कों में यह बहुत कम पाया जाता है और कभी-कभी तो इसके लक्षण दिखाई भी नहीं देते है।’ विभिन्न राज्य टमैटो फ्लू से बचाव के लिए लोगों को उचित साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।
