कई राज्यों ने कोविड-19 के बेहद संक्रामक स्वरूप ओमीक्रोन के प्रसार को रोकने के लिए त्योहारी सीजन से पहले रात को कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है जिसकी वजह से महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से धीरे-धीरे उबर रहे होटल, पर्यटन, यात्रा और मनोरंजन जैसे सेवा क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ सकता है जो संपर्क के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र माने जाते हैं।
क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के डेटा के अनुसार, इस साल की शुरुआत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान अधिकांश विनिर्माण गतिविधियां रुक गईं जबकि मई, जून और जुलाई में सेवा से जुड़ी गतिविधियों में कमी आई। पिछले साल महामारी की पहली लहर के दौरान, सेवा क्षेत्र की गतिविधि में कमी, विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में अधिक थी और इसके विस्तार क्षेत्र में वापसी में ही सात महीने लग गए। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि दिसंबर के इस अंतिम सप्ताह में राज्यों द्वारा घोषित किए जा रहे रात्रि कफ्र्यू की वजह से सेवा क्षेत्र एक बार फिर से पिछड़ेगा। हालांकि इसका सही प्रभाव कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कफ्र्यू कब तक जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘हमने पहले भी देखा है कि इस तरह के आदेश को वापस लेना मुश्किल है, खासतौर पर अब जब यह बात व्यापक रूप से मान ली गई है कि ओमीक्रोन स्वरूप का प्रसार काफी तेजी से होता है। यह आर्थिक सुधार के लिए अच्छी खबर नहीं हो सकती है और इससे चौथी तिमाही की वृद्धि भी कम होगी। मुमकिन है कि तीसरी तिमाही पर भी असर पड़ेगा क्योंकि इस सप्ताह काफी खर्च किया जाता है क्योंकि यह खत्म होते साल का आखिरी बड़ा त्योहार माना जाता है। हालांकि समग्र तौर पर तीसरी तिमाही पर प्रभाव कम होगा।’
भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार सितंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत तक रहा और इसने महामारी से पहले के दायरे को पार कर लिया क्योंकि टीकाकरण की रफ्तार तेज हो गई और जून तिमाही में महामारी की भयावह दूसरी लहर के कारण पैदा हुई बाधाओं के बाद सेवा क्षेत्र की गतिविधियां भी सामान्य हो गईं। भारत में ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार होने से पहले ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2022 में 9 से 10 फीसदी के आसपास वृद्धि की उम्मीद जताई थी।
उन्होंने कहा कि हालांकि इसका (रात्रि कफ्र्यू) असर, व्यापक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि आंकड़ों में बड़े पैमाने पर नजर नहीं आ सकता है लेकिन निश्चित रूप से इसका असर विमानन क्षेत्रों को छोड़कर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जो अभी तक 60-80 प्रतिशत तक की क्षमता इस्तेमाल तक नहीं कर पाए हैं।
इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने ओमीक्रोन को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि संपर्क पर आधारित सेवाओं में शुरुआती सुधार बाधित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘प्रतिबंध भी चुनिंदा तरीके से लगाए जा रहे हैं और वायरस के इस स्वरूप की संक्रामकता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच दो टीके के असर को लेकर भी आशंका है। ऐसे में संभव है कि लोग वैसी गतिविधियों को नजरअंदाज करेंगे जहां सामाजिक दूरी को बनाए रखना मुश्किल है।’
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के सीईओ, कुमार राजगोपालन ने कहा, ‘रात के कफ्र्यू के कारण इसका प्रभाव महसूस होने लगा है। उम्मीद है कि सरकार लोगों के जीवन और आजीविका के बीच संतुलन बिठाने वाले नियमों को लाएगी। पिछले दो वर्षों में यह बात समझी जा चुकी है कि लॉकडाउन, महामारी से लडऩे का तरीका नहीं है। हमने पिछले तीन महीनों में देखा है कि ग्राहक खुद को ही खुश करना चाहते हैं।’
नैशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के नोएडा चैप्टर के प्रमुख वरुण खेड़ा ने कहा कि नए प्रतिबंधों की वजह से नोएडा में क्रिसमस और नए साल से जुड़े रेस्तरां द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया जाएगा जिससे राजस्व को भारी नुकसान होगा।
वह कहते हैं, ‘ऐसा नहीं लगता कि भीड़ से जुड़े सरकार के प्रतिबंध 1 जनवरी को खत्म हो जाएंगे। दूसरी लहर के बाद सरकारें सतर्क हैं। उत्तर प्रदेश सरकार विशेष रूप से सख्ती बरत रही है और चुनाव नजदीक होने की वजह से सरकार स्वास्थ्य की स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगी। कुल मिलाकर, हमने नोएडा में रेस्तरां क्षेत्र के कारोबार में 70 प्रतिशत तक का सुधार देखा था। अगर ओमीक्रोन स्वरूप का प्रसार नहीं हुआ होता तब 6-8 महीने में पूरा सुधार संभव था लेकिन अब हम पिछड़ गए हैं।’