प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेखा परीक्षकों से मजबूत और वैज्ञानिक लेखा विधियों को अपनाने का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि ऑडिट मूल्य संवर्धन का एक महत्त्वपूर्ण जरिया है जो समस्याओं को पहचानने और समाधान तलाशने में मदद करता है।
सीएजी के पहले ऑडिट दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में एक समय था जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को आशंका तथा भय के साथ देखा जाता था और सीएजी बनाम सरकार व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज इस मानसिकता को बदला गया है। आज ऑडिट को मूल्य वर्धन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।’
कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम भी देश में चल रहा हैं और कुछ सप्ताह पहले ही देश ने 100 करोड़ टीकों की खुराक का पड़ाव पार किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले देश के बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते तरह-तरह के चलन थे और इसका परिणाम यह हुआ कि बैंको की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ती गईं।
उन्होंने कहा, ‘एनपीए को कालीन के नीचे छिपाने का जो कार्य पहले के समय किया गया, वह शायद मुझसे ज्यादा आप लोग जानते हैं। लेकिन हमने पूरी ईमानदारी के साथ पिछली सरकारों का सच देश के सामने खोल करके रख दिया। हम समस्याओं को पहचानेंगे, तभी तो समाधान तलाश कर पाएंगे।
