कर व्यवस्था को मित्रवत बनाने व उसमें पारदर्शिता लाने को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कर अधिकारियों व करदाताओं के साथ होने वाली बैठक में कुछ नए कदमों की घोषणा करेंगे। इन कदमों में करदाता अधिकार पत्र का अनावरण शामिल हो सकता है, जिसमें करदाताओं को समय से सेवाएं पाने का अधिकार और फेसलेस कर आकलन की संभावनाओं का विस्तार शामिल हो सकता है, जिससे उनका उत्पीडऩ न हो सके। स्वतंत्रता दिवस के दो दिन पहले मोदी ‘पारदर्शी कराधान- ईमानदारों का सम्मान’ नाम से मंच भी शुरू करेंगे।
बुधवार को वित्त मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘पारदर्शी कराधान- ईमानदारों का सम्मान के लिए प्लेटफॉर्म की होने वाली शुरुआत के साथ प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष कर सुधारों की यात्रा को और आगे बढ़़ाएंगे।’
पिछले साल अक्टूबर महीने में आयकर विभाग ने फेसलेस ई-आकलन योजना शुरू की थी, जिसमें कर अधिकारी और करदाता के बीच भौतिक हस्तक्षेप न रहे। फेसलेस आकलन के लिए 58,000 मामले लिए गए थे, जिसमें से 8,700 मामले निपटा दिए गए और यह प्रक्रिया अक्टूबर तक पूरी हो सकती है। फेसलेस ई-आकलन ने न्याययिक क्षेत्र संबंधी समस्या खत्म कर दी है और व्यक्तिगत विवेकाधिकार की जगह टीम आधारित आकलन को बढ़ावा दिया है। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और वस्तुनिष्ठता आई है।
करदाताओंको राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र (एनईएसी) दिल्ली से संदेश भेजा जाता है। एनईएससी यादृच्छिक रूप से मामलों का आवंटन विभिन्न आकलन इकाइयों को करता है, जो देश भर में फैले होते हैं। इन आकलन इकाइयों का करदाताओं से सीधा संपर्क नहीं होता है। इस समय इस योजना में 8 शहर मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे शामिल हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘फेसलेस आकलन योजना का विस्तार और भी न्यायक्षेत्रों तक बढ़ाए जाने की संभावना है। करदाता अधिकार पत्र, जिसे तैयार किया जा रहा था, का विमोचन भी हो सकता है।’
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड करदाता अधिकार पत्र को स्वीकार करेगा, जिससे कि करदाता और प्रशासन के बीच विश्वास सुनिश्चित हो और उत्पीडऩ में कमी आए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि करदाताओं को समय से सेवाएं मिलें। यह कर विभाग के लिए बाध्यकारी होगा। केवल कुछ देशों में करदाता अधिकारपत्र कानून है, जिनमें अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट घोषणा में कहा था कि करदाताओं के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका किसी तरह का कोई उत्पीडऩ न हो।
एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने कहा, ‘पूरा मसला यह है कि करदाताओं को बेहतर सेवाएं मुहैया कराई जाएं, जिससे स्वैच्छिक रूप से अनुपालन में बढ़ोतरी हो। उन्हें प्रशासन पर ज्यादा भरोसा होना चाहिए, जो पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और स्पष्टता पर निर्भर है।’
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि जिंदगी की सुगमता और कारोबार की सुगमता के लिए एक अहम पहलू यह है कि कर प्रशासन में स्वच्छता और कुशलता हो।
इस कार्यक्रम में उद्योग संगठन, ट्रेड एसोसिएशन, चार्टर्ड एकाउंटेंट एसोसिएशन और महत्त्वपूर्ण करदाताओं के अलावा अधिकारी व कर विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ वित्त सचिव एबी पांडेय के शामिल होने की भी संभावना है।
वित्त मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा है कि आयकर विभाग आगे के कदम उठाने को प्रतिबद्ध है और कोरोना के वक्त में करदाताओं के लिए अनुपालन आसान करने की कवायदें की थी, जिसमें रिटर्न दाखिल करने की अवधि बढ़ाया जाना और तेजी से रिफंड जारी करना शामिल है, जिससे कारोबारियों के हाथ में नकदी आ सके। वित्त मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक आकलन वर्ष 2019-19 में कुल आयकर रिटर्न की जांच का प्रतिशत घटकर 0.25 रह गया है, जो आकलन वर्ष 2017-18 में 0.55 प्रतिशत था।
इस साल की शुरुआत में विभाग ने विवाद से विश्वास योजना शुरू की थी, जिससे विभिन्न अपीली न्यायाधिकरणों में फंसे करीब 4,83,000 मामलों को सुलझाया जा सके।
