प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का गुरुवार को आह्वान किया कि वे क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में ना जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बरबाद हो सकता है। उन्होंने डिजिटल क्रांति से उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के एकजुट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘सिडनी संवाद’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि डेटा ‘नए हथियार’ बन रहे हैं और यह देशों की पसंद पर निर्भर करेगा कि वह प्रौद्योगिकी के सभी शानदार साधनों का उपयोग सहयोग के लिए करते हैं या संघर्ष के लिए, बल द्वारा शासन के लिए करते हैं या पसंद के अनुरूप, प्रभुत्व के लिए करते हैं या विकास के लिए। मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को भावी प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास में मिलकर निवेश करना चाहिए, विश्वस्त निर्माण आधार और विश्वस्त आपूर्ति शृंखला का विकास करना चाहिए और जन भावना को प्रभावित करने से रोका जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब विश्व में चीन द्वारा अपने रणनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नए युग की प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। डिजिटल युग के लाभों को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया समुद्री सतह से लेकर साइबर और अंतरिक्ष तक नए तरह के संघर्षों और जोखिमों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसका खुलापन है। हालांकि, हमें इस खुलेपन का दुरुपयोग करने वाले कुछ निहित स्वार्थों को अनुमति नहीं देनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि डिजिटल युग ने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को पुनर्भाषित किया है और यह सार्वभौमिकता, शासन, नीति, कानूनों, अधिकारों और सुरक्षा को लेकर नए सवाल भी खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, ताकत और नेतृत्व को भी पुनर्भाषित कर रहा है। इसने प्रगति और समृद्धि के नए अवसर भी पैदा किए हैं।’
मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को तकनीकी और शासन मानकों तथा नियमों के साथ ही डेटा शासन और सीमाओं से परे आने-जाने वाले आंकड़ों की सुरक्षा के लिए मानकों तथा नियमों की रचना में ‘सहयोगात्मक’ रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उभरती संरचना को ‘राष्ट्रीय अधिकारों को मान्य करना चाहिए तथा साथ ही कारोबार, निवेश और वृहद जनकल्याण को प्रोत्साहन देना चाहिए।’ उन्होंने डिजिटल युग में डेटा को सबसे महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘भारत में हमने डेटा सुरक्षा, निजता और सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। साथ ही साथ हम इसका उपयोग लोगों के सशक्तीकरण के स्रोत के रूप में कर रहे हैं।’
उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘यह महत्त्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को बरबाद कर सकता है।’ मोदी ने उम्मीद जताई कि सिडनी डायलॉग का यह मंच इस युग में ‘हमारी साझेदारी को आकार देने और विश्व व हमारे देशों के भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी को पूरा करने में सहायता करेगा।’ नई प्रौद्योगिकी को लेकर भारत के रुख का खाका पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब दूरसंचार के क्षेत्र में 5जी और 6जी सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिए निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत की 130 करोड़ आबादी की डिजिटल पहचान है, आज छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड संपर्क से जोड़ा जा रहा है, भुगतान के लिए दुनिया की सबसे प्रभावी तकनीक यूपीआई देश के पास है, 80 करोड़ भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और 75 करोड़ लोग स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘आज हम प्रति व्यक्ति डेटा के सबसे बड़े ग्राहक हैं और हमारे यहां यह दुनिया में सबसे सस्ती दरों में से एक है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल और लोकतांत्रिक नेता के रूप में भारत साझा समृद्धि और सुरक्षा के लिए सभी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘भारत की डिजिटल क्रांति हमारे लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय और हमारी अर्थव्यवस्था के आकार में निहित है। इसे हमारे युवाओं का नवोन्मेष और उनकी उद्यमिता मजबूत कर रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत सेमी-कंडक्टर का मुख्य निर्माता बनने के लिए प्रयासरत है और 5जी व 6जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिये निवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर डिजिटल दुनिया के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों और उसकी वर्तमान प्राथमिकताओं का उल्लेख किया और कहा कि भारत के प्रति इस क्षेत्र को लेकर दुनिया का विश्वास हासिल हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हम 5जी और 6जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं।’ ऐसी जानकारी है कि नए युग की प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के संपर्क में है। उन्होंने कहा, ‘हम क्लाउड प्लेटफॉम्र्स और क्लाउड कंप्यूटिंग में मजबूत क्षमताएं विकसित कर रहे हैं। हम क्वांटम कंप्यूटिंग में विश्वस्तरीय क्षमता निर्माण कर रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम उसकी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और उसे अब नवोन्मेष और निवेश के मद्देनजर निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘साइबर सुरक्षा से जुड़े समाधान देने और दुनिया भर के उद्योग जगत को सेवा देने के मामले में भारत पहले से ही एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। भारत को साइबर सुरक्षा का केंद्र बनाने के लिए हमने उद्योग जगत के साथ मिलकर एक कार्य बल का गठन भी किया है।’
‘सिडनी संवाद उभरती एवं महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित एक मंच है। सिडनी संवाद 17 से 19 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। यह ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक पहल है। ‘सिडनी संवाद’ के तहत राजनेताओं, उद्योग हस्तियों और सरकारी प्रमुखों को व्यापक चर्चाएं करने, नए विचार सृजित करने और उभरती एवं महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न अवसरों एवं चुनौतियों की सामान्य समझ विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए एक मंच पर लाने का प्रयास है।