विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोक सभा चुनावों में अन्य दलों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को टक्कर देने की तैयारी कर रही हैं। ममता ने अपनी पार्टी के शहीद दिवस पर लोगों को अपने वर्चुअल संबोधन में कहा, ‘हमें अभी से योजना बनानेे की शुरुआत करनी होगी।’ शहीद दिवस उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोजित साल का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। यह कोलकाता में 1993 में आज के दिन तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ रैली में जमा हुए युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों की मौत की याद में आयोजित होता है।
कोविड-19 के कारण इस साल यह आयोजन वर्चुअल हुआ। इसे बड़ी-बड़ी स्क्रीनों पर न केवल पूरे पश्चिम बंगाल में बल्कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, असम, दिल्ली, त्रिपुरा और तमिलनाडु में भी दिखाया गया। दिल्ली में प्रदर्शनी के लिए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और शिव सेना जैसे विपक्षी दलों के बहुत से नेता मौजूद थे। ममता ने इन विपक्षी नेताओं को उनकी मौजूदगी के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वह कुछ दिनों में दिल्ली पहुंचेंगी। उन्होंने कहा, ‘मैं विपक्ष के सभी महत्त्वपूर्ण नेताओं से मिलना चाहूंगी।’
ममता का ज्यादातर भाषण पेगासस जासूसी विवाद पर केंद्रित रहा। उन्होंने कहा कि वह अन्य विपक्षी दलों के साथ खुलकर बातचीत नहीं कर सकी क्योंकि उनका फोन टैप था और उन्होंने अपने फोन के कैमरे को ढंक दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें केंद्र को ढंकना होगा अन्यथा देश बरबाद हो जाएगा। वे इसे एक निगरानी वाला देश बनाना चाहते हैं।’ ममता ने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ- चुनाव आयोग, मीडिया और न्यायपालिका हैं। पेगासस ने तीनों को जकड़ लिया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह पेगासस मुद्दे का स्वत: संज्ञान ले। ममता ने कोविड-19 की दूसरी लहर को संभालने में नाकाम रहने को लेकर भी केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है और कीमतें आसमान छू रही हैं। विधानसभा चुनावों में बंगाल सभी चुनौतियों से कैसे लड़ा, इसका जिक्र करते हुए ममता ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के नेता दैनिक यात्रियों की तरह घूमते थे।’ ममता ने विपक्ष के नेताओं से 2024 के लिए गठबंधन बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा को देश से खत्म नहीं कर दिया जाएगा, तब तक सभी राज्यों में ‘खेला’ होगा। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि ममता ने भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब से पहले बने गठबंधन नाकाम रहे है और उनकी योजनाओं को मामूली सफलता मिली है।
क्या इस बात नतीजा अलग रहेगा, इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक टेलीविजन चैनल पर कहा कि ममता को अपनी कोशिशों की कीमत 2019 के लोक सभा चुनावों में सीटें गंवाने के रूप में चुकानी पड़ी थी। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 42 में से 22 सीटें मिली थीं। ये पार्टी द्वारा 2014 में जीती गईं 34 सीटों से कम थीं, जबकि भाजपा 18 सीटों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धी बन गई। हालांकि कुछ महीनों पहले विधानसभा चुनावों में तृणमूल ने प्रचंड जीत हसिल की है। पार्टी ने 294 में से 213 सीटों पर जीत दर्ज की है।