राजस्थान के आबकारी विभाग द्वारा विदेशी मदिरा बीयर की खुदरा दुकानों से शुल्क की कम वसूली के कारण सरकार को वर्ष 2005-2006 में 30.55 लाख रुपये की राजस्व हानि उठानी पड़ी।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के 31 मार्च 2007 को समाप्त हुए वर्ष की राजस्व प्राप्तियों की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार अनुज्ञापत्र की शर्तो के अनुसार 1 अप्रैल 2005 से नगर पालिका शहरी इलाके में स्थित दुकानों के लिए वार्षिक अनुज्ञापत्र शुल्क 3 लाख रुपये तथा आवदेन शुल्क 30 हजार रुपये प्रति दुकान और ग्रामीण क्षेत्र में स्थित दुकानों के लिए वार्षिक अनुज्ञापत्र शुल्क 2,500 रुपये तथा आवेदन शुल्क 250 रुपये तय था।
रिपोर्ट के मुताबिक नगरीय विकास विभाग की अधिसूचना में अन्य क्षेत्रों के साथ ही जोधपुर शहरी क्षेत्र के 86 गांवों को भी इसमें शामिल किया गया। आबकारी विभाग ने वर्ष 2005-2006 में एक समूह को आठ गावों में 11 दुकानाें के अनुज्ञापत्र जारी किए। आबकारी विभाग ने इन दुकानों के अनुज्ञापत्र जारी करते समय नगर पालिका की दर से शुल्क वसूलने के स्थान पर ग्रामीण दर से शुल्क लेने के कारण 30.55 लाख रुपये की राजस्व हानि का सामना करना पड़ा। कैग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि शुल्क वसूली में र्हुई लापरवाही के कारण राज्य सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा है।
सस्ती जमीन बेचने से 22 करोड़ का घाटा
राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग द्वारा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण डबोक उदयपुर को हवाई अड्डे के लिए आवंटित की गई भूमि की गणना सही ढंग से नहीं करने के कारण राज्य सरकार को बाइस करोड चौदह लाख रुपये की राजस्व हानि उठानी पड़ी।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के 31 मार्च 2007 को पेश राजस्व रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार उदयुपर की वल्लभनगर तहसील में सितम्बर 2006 को शहरी क्षेत्र में हवाई अड्डा निर्माण के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण डबोक को सत्तर बीघा सरकारी भूमि 1 रुपये के मूल्य पर जनवरी 2006 में आवंटित की गई थी।