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Indian Coffee: भारत से कॉफी निर्यात 2024 में 10% बढ़ने की उम्मीद

वैश्विक कीमतों में तेजी से भारतीय कॉफी की मांग बढ़ी

Last Updated- January 09, 2024 | 10:55 PM IST
Coffee

भारत से कॉफी निर्यात 2024 में 10 प्रतिशत बढ़ सकता है। इस उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि वैश्विक कीमतों में तेजी के कारण यूरोप के खरीदार बेहतर दाम देकर कॉफी खरीद रहे हैं।

भारत चाय उत्पादक के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन विश्व का आठवां बड़ा कॉफी उत्पादक भी है। खासकर भारत में रोबस्टा बीन्स का उत्पादन होता है, जिसका इस्तेमाल इंस्टैंट कॉफी बनाने में होता है। साथ ही यहां महंगी अरेबिका वेराइटी का भी उत्पादन होता है।

कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा ने इस साल कॉफी के निर्यात में 10 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कहा, ‘भारतीय कॉफी, खासकर रोबस्टा बीन्स की मांग अधिक है, क्योंकि उत्पादन कम होने के कारण वैश्विक कीमतें ज्यादा हैं।’

रोबस्टा कॉफी का कारोबार कम से कम 15 साल के उच्च स्तर पर हो रहा है। इसकी वजह यह है कि विश्व के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक वियतनाम में 2023-24 में पहले के सीजन से कम उत्पादन की संभावना है। भारत अपने कुल उत्पादन का तीन-चौथाई निर्यात करता है, जो मुख्य रूप से इटली, जर्मनी और बेल्जियम भेजा जाता है।

सामान्यतया भारतीय कॉफी की कीमत वैश्विक मानकों से ज्यादा होती है क्योंकि इसका उत्पादन छाया में होता है, इसे हाथ से तोड़ा जाता है और धूप में सुखाया जाता है। निर्यातकों का कहना है कि इस साल वैश्विक उत्पादन सामान्य से कम रहने के आसार हैं, जिसके कारण भारतीय कॉफी की कीमत और बढ़ी है।

एक वैश्विक ट्रेड हाउस से जुड़े बेंगलूरु के डीलर ने कहा कि 2024 में कॉफी निर्यात बढ़कर 2,98,000 टन पहुंच सकता है, जो पिछले साल 2,71,420 टन था। इंडियन रोबस्टा चेरी की कीमत लंदन फ्यूचर्स में 300 डॉलर प्रति टन चल रही है क्योंकि मांग बहुत तेज है।

एक डीलर ने कहा कि निर्यात की मांग अच्छी है, वहीं कारोबारी आपूर्ति बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे स्थानीय कीमत कम हो सकती है। देश के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक राज्य कर्नाटक के कोडागू में कॉफी उत्पादन करने वाले एमएम चेंगप्पा ने कहा कि इस सीजन में रोबस्टा की फसल करीब 20 प्रतिशत तैयार हो चुकी है, हालांकि हाल के दिनों में उत्पादक इलाकों में बारिश की वजह से व्यवधान आया है।

सरकार के कॉफी बोर्ड का अनुमान है कि भारत का उत्पादन एक अक्टूबर से शुरू 2023-24 सीजन में बढ़कर 3,74,000 टन हो सकता है, जो पिछले साल 3,52,000 टन था। हालांकि किसानों का कहना है कि बारिश की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी सीमित रहेगी।

चेंगप्पा ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों से बेमौसम बारिश के अलावा दिसंबर में भी बारिश हुई है। इसकी वजह से तमाम फल गिर गए हैं।’ निर्यातक रमेश राजा ने कहा कि ज्यादा मजदूरी की पेशकश करने के बावजूद श्रमिकों की कमी है, जिससे फसल की हार्वेस्टिंग प्रभावित हो रही है।

राजा ने कहा, ‘वैश्विक कीमत बढ़ रही है, लेकिन भारत के किसानों की आमदनी उस अनुपात में नहीं बढ़ रही है क्योंकि यहां उत्पादन लागत बढ़ी है। इनपुट और मजदूरी पर उन्हे ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।’

First Published - January 9, 2024 | 10:52 PM IST

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