भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें एक बार फिर शुरू होने जा रही हैं। पांच साल से ज्यादा समय बाद, दोनों देशों के बीच हवाई रास्ते खुल रहे हैं। 2020 में कोविड-19 की वजह से ये उड़ानें बंद हो गई थीं। बाद में गलवान सीमा विवाद ने भी इन्हें रोके रखा। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
भारतीय एयरलाइन कंपनियां, खासकर इंडिगो और एयर इंडिया, इस मौके को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दूसरी तरफ, चीनी एयरलाइंस भी भारत के बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं। ये जंग आसमान में दिलचस्प होने वाली है।
2019 में भारत-चीन उड़ानों का बाजार पूरी तरह चीनी एयरलाइंस के कब्जे में था। चाइना ईस्टर्न, चाइना सदर्न, चाइना एयर और शेडोंग एयरलाइंस मिलकर 89 फीसदी सीटों पर कब्जा जमाए हुए थीं। उस वक्त एयर इंडिया अकेली भारतीय कंपनी थी, जो दिल्ली से शंघाई और बीजिंग के लिए उड़ानें चला रही थी। लेकिन उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 11 फीसदी थी। एयर इंडिया तब आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। फिर सितंबर 2019 में इंडिगो ने दिल्ली-चेंगदू उड़ान शुरू की। इसके बाद अक्टूबर में कोलकाता-ग्वांगझोउ उड़ान भी जोड़ी। देखते ही देखते इंडिगो ने 16.8 फीसदी बाजार हथिया लिया। लेकिन तभी कोविड ने सारी गाड़ी पटरी से उतार दी।
अब 2025 में तस्वीर बदल रही है। एयर इंडिया, जो अब टाटा समूह के अधीन है, और इंडिगो ने 1,800 से ज्यादा विमानों का ऑर्डर दे रखा है। इनमें मध्यम और लंबी दूरी के विमान भी शामिल हैं। दोनों कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी धाक जमाने को बेताब हैं। इंडिगो 26 अक्टूबर से कोलकाता-ग्वांगझोउ उड़ान फिर शुरू कर रही है। ये उड़ान हफ्ते में तीन बार चलेगी। साथ ही, दिल्ली-ग्वांगझोउ उड़ान की भी तैयारी चल रही है, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई। दूसरी तरफ, एयर इंडिया भी दिल्ली-शंघाई उड़ान इस साल के अंत तक शुरू करने की योजना बना रही है।
दोनों भारतीय कंपनियां दिल्ली और मुंबई को अंतरराष्ट्रीय हब बनाना चाहती हैं। चीन का बाजार इस रणनीति का अहम हिस्सा है। इंडिगो ने हाल ही में अपने बेड़े में A321XLR विमान शामिल किया है। ये विमान 8 से 10 घंटे की उड़ान भर सकता है। इससे इंडिगो अब कोलकाता की मौजूदा A320neo उड़ानों से ज्यादा चीनी शहरों तक पहुंच सकेगी। दूसरी तरफ, चीनी एयरलाइंस भी बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझोउ और कुनमिंग से भारत के लिए उड़ानें शुरू करने की सोच रही हैं।
भारत-चीन के बीच यात्रियों की संख्या हमेशा से अच्छी रही है। 2019 में, जब सीधी उड़ानें थीं, 12 लाख से ज्यादा लोग इन उड़ानों से सफर करते थे। अगर दूसरे रूट के उड़ानों को जोड़ा जाए, तो ये संख्या 19 लाख तक पहुंच जाती थी। 2024 में, जब कोई सीधी उड़ान नहीं थी, तब भी 5.72 लाख यात्रियों ने सिंगापुर, हांगकांग, बैंकॉक और वियतनाम जैसे हब्स के जरिए सफर किया। ये रास्ता लंबा था और महंगा भी। अब सीधी उड़ानें शुरू होने से यात्रियों को समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच वीजा नियम आसान होते हैं, तो यात्रियों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। भारतीय एयरलाइंस चार बड़े चीनी शहरों—बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझोउ और चेंगदू—को टारगेट कर रही हैं। इन शहरों में व्यापार और पर्यटन की जबरदस्त संभावनाएं हैं।
चीनी एयरलाइंस के लिए भी भारत का बाजार आकर्षक है। खासकर तब, जब चीन-अमेरिका उड़ानों में 75 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। ऐसे में भारत जैसे बड़े बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।
हालांकि, ये जंग आसान नहीं होगी। चीनी एयरलाइंस पहले से इस रूट पर मजबूत हैं। उनके पास अनुभव और संसाधन दोनों हैं। दूसरी तरफ, इंडिगो और एयर इंडिया नई ताकत के साथ मैदान में हैं। दोनों कंपनियां अपने नए विमानों और रणनीति के दम पर बाजार में सेंध लगाने को तैयार हैं। लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे चीनी कंपनियों की बादशाहत को चुनौती दे पाएंगी।
दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार और उड़ानों की बहाली से न सिर्फ यात्रियों को फायदा होगा, बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। ये नई शुरुआत दोनों देशों के लिए एक बड़ा मौका है। इंडिगो और एयर इंडिया इस मौके को कितना भुना पाते हैं, ये वक्त बताएगा।