काम की मांग बढ़ी तो मनरेगा में होगी और धन की जरूरत

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:55 AM IST

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पिसावा की रहने वाली रामबेटी एक बड़ी उलझन में पड़ गई हैं। वह कहती हैं कि मरनेगा के तहत मिलने वाले 100 दिनों के रोजगार की सीमा को उनका परिवार पूरा करने के करीब है और उन्हें नहीं पता कि साल के बाकी महीनों में वह क्या करेंगी।
इस मामले में रामबेटी अकेली नही हैं। झारखंड की राजधानी रांची के एक छोर पर स्थित नामकुम ब्लॉक की संतोष बंदो पहली बार मनरेगा के तहत मजदूरी कर रही हैं। उन्होंने इस योजना के तहत अधिक कार्य दिए जाने की मांग की है।
संतोष सहित रामबेटी देश के 80 जिलों के उन हजारों मनरेगा मजदूरों में शामिल थीं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले योजना के तहत अनिवार्य कार्य दिवसों की संख्या को मौजूदा 100 से बढ़ाकर 200 दिन करने और न्यूनतम मजदूरी को मौजूदा 200 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 600 रुपये प्रतिदिन करने के लिए मनरेगा संघर्ष मोर्चा ने प्रदर्शन किया था। आंकड़ों से पता चलता है कि 2020-21 में अब तक मरनेगा के तहत काम पाने वाले 4.67 करोड़ परिवारों में से 6 जुलाई तक 2,17,000 से अधिक परिवारों ने अधिनियम के तहत मिले अनिवार्य 100 दिनों के रोजगार को पूरा कर लिया है।
मोर्चा के मुताबिक मनरेगा के तहत काम की मांग में उल्लेखीय उछाल आने के बावजूद केंद्र सरकार प्रति परिवार 100 दिनों के काम की गारंटी को नहीं बढ़ा रही है। फिलहाल मनरेगा के तहत कानूनन 100 दिनों के काम की गारंटी है। हालांकि काम मिलने वाले दिनों की वास्तविक संख्या इससे बहुत कम है।
2020-21 के लिए न्यूनतम मजदूरी करीब 200 रुपये प्रतिदिन है। मनरेगा की वेबसाइट से मिले 1 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक जून में करीब 4.37 करोड़ परिवारों ने योजना के तहत काम की मांग की। यह संख्या विगत सात वर्ष में सर्वाधिक है। काम की मांग को लेकर यही रुझान मई में भी नजर आया था। जून में मई के मुकाबले 21 फीसदी अधिक परिवारों ने काम की मांग की थी। मई में 3.61 करोड़ परिवारों ने काम की मांग की थी जो विगत सात वर्ष में उस महीने के लिए सर्वाधिक संख्या थी। अस्थायी आंकड़ों से पता चलता है कि मनरेगा के तहत जून में 52.17 करोड़ मानव दिवस कार्य मुहैया कराए गए, जो कि मई के मुकाबले करीब 8 फीसदी कम है। मई में योजना के तहत 56.74 करोड़ मानव दिवस कार्य मुहैया कराए गए थे। योजना के तहत काम की मांग में यह उछाल मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के बाद शहरों से गांवों में लौटे 2 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिकों के कारण से आई है। प्रवासी श्रमिकों को अधिक काम मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने मई में योजना के तहत 2020-21 के लिए आवंटित बजट में 40,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया था। सरकार के इस कदम से पूरे साल का मनरेगा आवंटन पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है।

First Published : July 13, 2020 | 12:24 AM IST