हैदराबाद मेट्रो : हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:03 PM IST

दिल्ली में 65 किलोमीटर मेट्रो लाइन बिछाने में केंद्र और राज्य सरकार को तकरीबन 10,500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।


इसके उलट हैदराबाद में 71 किमी मेट्रो रेल लाइन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं, परियोजना में निजी कंपनी समूहों को कुछ छूट देने के एवज में आंध्र प्रदेश सरकार को करीब 1,240 करोड़ रुपये (वर्तमान बाजार मूल्य) मिलेंगे।

राज्य कैबिनेट ने इस छूट समझौते को पिछले सप्ताह ही मंजूरी दे चुकी है। परियोजना की जिम्मेदारी आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी माइटस इन्फ्रा के नेतृत्व वाली कंपनी समूह को मिली है। सच तो यह है कि सरकार ने सोचा भी नहीं था कि इस परियोजना से उसे नकद रकम की प्राप्ति होगी।

दरअसल, केंद्र सरकार 12,410 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले हैदराबाद मेट्रो परियोजना में 20 फीसदी सब्सिडी देने का अनुमान लगा रही थी, वहीं जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत 10 फीसदी अतिरिक्त राशि देने का अंदाजा लगा रही थी। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से भी कुल लागत का 10 फीसदी देने का अनुमान था।

इसका मतलब यह हुआ कि केंद्र और राज्य सरकार को करीब 4,800 करोड़ रुपये देने पड़ते, जबकि नई छूट नीति के तहत राज्य सरकार को करीब 30,300 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। वर्तमान बाजार मूल्य में यह रकम 1,240 करोड़ के आस-पास बैठती है।

इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह मेट्रो सेवा के क्षेत्र में नई क्रांति होगी और नए शहरों में मेट्रो लाइन बिछाने के लिए सरकार को एक भी रुपया अपने मद से  खर्च नहीं करना पड़ेगा। मेट्रो की अन्य परियोजनाओं की बात करें, तो बेंगलुरु में 42 किमी मेट्रो लाइन बिछाने में राज्य सरकार को 6,500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।

वहीं मुंबई में 2,356 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली 11 किमी मेट्रो लाइन के लिए अंबानी समूह को 650 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ी। हैदराबाद मेट्रो परियोजना के लिए सरकार ने पांच कंपनी समूहों का चयन किया था, जिसे 35 साल तक मेट्रो चलाने की छूट देने की बात कही गई थी, जिसे 25 साल और आगे बढाया जा सकता है।

इनमें जीवीके नेतृत्व वाली कंपनी समूह ने निर्णायक बोली में हिस्सा ही नहीं लिया, जबकि एस्सार-एल्सटॉम समूह ने सरकार से 3,100 करोड़ रुपये की सब्सिडी की मांग की थी, जबकि रिलायंस एनर्जी के नेतृत्व वाली कंपनी समूह ने 2,811 करोड़ रुपये की सब्सिडी मांगी। इसके उलट, मलेशियाई कंपनी और सिमेंस व नागार्जुन के साथ माइटस इन्फ्रा ने सबसे कम बोली लगाई और सरकार को 151 करोड़ रुपये देने की बात भी कही।

रेलवे एकाउंट ऑफिसर एनवीएस रेड्डी के नेतृत्व वाली परियोजना टीम इस उपलब्धि पर खुशी मना रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी भी इस उपलब्धि से खुश हैं। हैदराबाद मॉडल से उत्साहित योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर अन्य शहरों में भी इसी मॉडल पर काम करने की सलाह दी है। इससे जहां लोगों को परिवहन की अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध होगी, वहीं सरकारी खजाने पर भी नहीं बढ़ेगा बोझ।

हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना के लिए सरकार को नहीं करना होगा एक रुपया भी खर्च
इसके उलट, राज्य सरकार को करीब 1,240 करोड़ रुपये का होगा फायदा
71 किलोमीटर मेट्रो लाइन बिछाने के लिए माइटस इन्फ्रा के नेतृत्व वाले कंपनी समूह ने मारी बाजी

First Published : August 9, 2008 | 12:26 AM IST