facebookmetapixel
अमेरिका-चीन की रफ्तार हुई धीमी, भारत ने पकड़ी सबसे तेज ग्रोथ की लाइन: UBS रिपोर्टगिरते बाजार में भी 7% चढ़ा सीफूड कंपनी का शेयर, इंडिया-यूएस ट्रेड डील की आहत से स्टॉक ने पकड़ी रफ्तारवर्क प्लेस को नया आकार दे रहे हैं कॉरपोरेट, एआई का भी खूब कर रहे हैं उपयोगEmami Stock: 76% तक गिर गई टैल्क सेल्स… फिर भी ‘BUY’ कह रहे हैं एक्सपर्ट्स! जानें क्योंDelhi Red Fort Blast: साजिश की पूरी पोल खोली जाएगी, दिल्ली धमाके पर PM Modi का बयान26% तक रिटर्न का मौका! भारत-अमेरिका डील पक्की हुई तो इन 5 शेयरों में होगी जबरदस्त कमाई!Delhi AQI Today: दिल्ली में हवा हुई जहरीली! GRAP स्टेज III लागू, जानिए क्या-क्या हुआ बैनDelhi Red Fort Blast: लाल किले के पास विस्फोट में अब तक 12 की मौत, Amit Shah ने बुलाई हाई-लेवल मीटिंगVodafone Idea Share: ₹14 तक जाएगा शेयर! ब्रोकरेज ने कहा – सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल सकता है गेमसस्टेनेबल इंडिया की ओर Adani Group का कदम, बनाएगा भारत का सबसे बड़ा बैटरी स्टोरेज सिस्टम

भ्रष्टाचार के लिए अलग न्यायालय बनाने वाली याचिका पर 31 अक्टूबर को सुनवाई

Last Updated- December 11, 2022 | 1:10 PM IST

उच्चतम न्यायालय 31 अक्टूबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें धनशोधन एवं कर चोरी जैसे विभिन्न आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों का फैसला साल भर के अंदर करने के लिए हर जिले में विशेष भ्रष्टाचार रोधी अदालतें स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। 
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड 31 अक्टूबर की वाद सूची के अनुसार, यह याचिका प्रधान न्यायाधीश यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. आर. भट्ट एवं न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी। 

वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए उचित कदम उठाने का उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया जाए। 
वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दायर जनहित याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने भी इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार का कोई भी विभाग भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है। 

याचिका में कहा गया है कि लंबे समय से लंबित और अप्रभावी भ्रष्टाचार रोधी कानूनों के कारण, आजादी के 73 साल बाद और समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 70 साल बाद भी, देश का कोई भी जिला काला धन, बेनामी संपत्ति, आय से अधिक संपत्ति, रिश्वतखोरी, धनशोधन, कर चोरी और इसी प्रकार के अन्य आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों से मुक्त नहीं है।
इसमें दलील दी गई है कि भारत के भ्रष्टाचार रोधी कानून काफी कमजोर और अप्रभावी हैं तथा वे भ्रष्टाचार पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि 1988 में पारित बेनामी लेनदेन कानून भी बिना कार्रवाई के धूल खा रहा है। 

First Published - October 26, 2022 | 3:06 PM IST

संबंधित पोस्ट