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दाल में काला, किसानों का निकला दिवाला!

Last Updated- December 06, 2022 | 1:05 AM IST

उड़द और चना दाल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक लाख टन दालों के आयात करने का फैसला किया है।


हालांकि इससे दाल किसानों को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। उड़ीसा के कटक जिले के अरादीपदा गांव में रहने वाले किसान ललित दास का कहना है कि बाजार में भले ही दालों की कीमतों में तेजी हो, लेकिन उसका हमें लाभ नहीं मिल पा रहा है।


उन्होंने बताया कि इस साल हमने 20 रुपये प्रति किलो उड़द दाल बेचा है, जबकि पिछले साल इसकी कीमत 40 रुपये प्रति किलो थी। दरअसल, सरकार की ओर से उड़द दाल के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य 20 रुपये प्रति किलो तय की गई है। मूंग दाल की भी स्थिति इससे बेहतर नहीं है।


पिछले साल इसकी कीमत 20 रुपये प्रति किलो थी, जबकि इस साल सरकार ने इसके लिए न्यूनतम खरीद मूल्य 17 रुपये प्रति किलो तय किया है। हालांकि न्यूनतम खरीद मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर खुले बाजार में दालों की बिक्री हो रही है।सच तो यह है कि बाजार में सभी वस्तुओं की कीमतों में तेजी का रुख है, लेकिन दाल उत्पादक किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।


उधर, सरकार ने दाल के आयत शुल्क में कटौती की है, इससे घरेलू बाजार में इसकी कीमत कम होने की उम्मीद है, जिससे किसानों को और नुकसान की आशंका सता रही है। सीएसीपी के पूर्व अध्यक्ष टी. हक का कहना है कि दाल उत्पादक किसानों को उनके फसल का अच्छा मूल्य मिलना चाहिए, साथ ही पैदावार में बढ़ोतरी के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।


महाराष्ट्र के वर्धा जिले के किसान विजय जयवंतिया का कहना है कि दाल की कीमतों में गिरावट और सरकार की ओर से दाल आयात करने के फैसले से किसानों में भय का माहौल व्याप्त है।चना दाल की कीमतों में पिछले महीने 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई और वर्धा में यह 2100 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल उपलब्ध है। सोया ऑयल में की कीमतों में भी प्रति क्विंटल 250 रुपये की गिरावट आई है।


हालांकि दालों को छोड़कर अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में तेजी बनी हुई है। विजय कहते हैं कि महंगाई पर लगाम लागने की कवायद में सरकार किसानों को नजरअंदाज कर रही है। हालांकि सीएसीपी की सिफारिशों से किसानों को कुछ उम्मीद जगी है। दरअसल, समिति ने न्यूनतम खरीद मूल्य में 30 से 42 फीसदी की बढ़ोतरी की बात कही है।


एम. एस स्वामीनाथन भी कहते हैं कि किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिलनी चाहिए और न्यूनतम खरीद मूल्य में बढ़ोतरी होनी चाहिए। उधर, किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से व्यापारियों के गोदामों पर हो रहे छापे की वजह से व्यापारी खरीद से परहेज कर रहे हैं। इस मुद्दे पर विजय कुछ किसानों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं।


मध्य प्रदेश के कंकहेड़ा गांव के किसान रामकिशन वर्मा का कहना है कि पिछले साल की तुलना में उत्पादन लागत में बहुत वृद्धि हुई है, जबकि हमें फसल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। छत्तीसगढ़ के चना उत्पादक किसान खुले बाजार में अपने उत्पाद बेचते हैं।  (जारी…)

First Published - May 2, 2008 | 12:13 AM IST

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