तीन कृषि कानूनों पर सरकार के साथ पांचवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले आंदोलनरत किसानों ने अपना रुख कड़ा कर लिया और 8 दिसंबर को भारत बंद की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर तब तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे टोल प्लाजा पर कब्जा कर लेंगे।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने कहा कि अगर केंद्र शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को नहीं स्वीकार करता है तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे। एक अन्य किसान नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा, ‘आज हमारी बैठक हुई है, जिसमें 8 दिसंबर को भारत बंद के आह्वान का फैसला लिया गया है, जिसमें हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा कर लेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘अगर नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो उन्होंने आगामी दिनों में दिल्ली जाने वाली सभी सड़कों को बंद करने की योजना बनाई है।’ दिल्ली की प्रवेश सीमा बंद रहीं क्योंकि हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसानों ने लगातार नौंवे दिन प्रदर्शन किया। किसान नेताओं की गुरुवार को सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रही थी।
किसान समुदाय ने चिंता जताई है कि नए कानून ‘किसान विरोधी’ हैं और इनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था बंद हो जाएगी। इससे वे बड़ी कंपनियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। हालांकि सरकार ने कहा है कि नए कानूनों से किसानों को बेहतर अवसर मिलेंगे और कृषि में नई तकनीक के उपयोग का दौर शुरू होगा।
इस बीच राष्ट्रीय राजधानी की बहुत सी प्रवेश सीमाओं पर 9वें दिन यातायात बाधित रहा क्योंकि पुलिस ने किसानों के विरोध को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जोडऩे वाले प्रमुख मार्ग बंद रखे।
उत्तर प्रदेश के किसान समूहों ने गुरुवार को एक अन्य महत्त्वपूर्ण राजमार्ग एनएच 24 बंद कर दिया था, जो दिल्ली को गाजियाबाद से जोड़ता है। इसके चलते गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले लोग रास्ते में फंसे रहे। एक यातायात पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘गाजीपुर में एनएच 24 पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा गाजियाबाद से दिल्ली के यातायात के लिए शुक्रवार को भी बंद रही।’
किसान नए कृषि कानूनों को खत्म करने की अपनी मांगों पर अडिग़ हैं, इसलिए पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघु, टिकरी, झरोडा लांपुर, औचंदी, सफियाबाद, प्याऊ मणियारी, और साबोली प्रवेश बॉर्डरों को बंद रखा।
भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने गाजीपुर सीमा पर एक महा पंचायत आयोजित की। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर सुलह के लिए बीच का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को लिखित में किसानोंं को आश्वासन देना चाहिए।
इस बीच राजनीतिक दल किसानों को अपना समर्थन दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिर से आंदोलन का समर्थन किया, जबकि बिहार में विपक्षी पार्टी राजद ने कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
