शैक्षणिक संस्थान ढूंढ रहे सस्ता समाधान

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:45 AM IST

पूरा देश जब कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहा है और  कई दिग्गज कंपनियां कोशिश कर रही हैं कि इस महामारी पर नियंत्रण करने के लिए समाधान खोजा जाए तब ऐसे में आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान), आईआईएससीए डीम्ड यूनिवर्सिटीज जैसे देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों ने कोविड से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए कम लागत वाले प्रभावी समाधान की पेशकश की है। इनमें बीमारी के निदान और निगरानी, अस्पताल के लिए जरूरी सहायक उपकरण, मॉडलिंग, सिमुलेशन और विश्लेषण, प्रीप्रिंट, सैनिटाइजेशन और कीटाणुशोधन, वैक्सीन तैयार करने जैसी प्रक्रिया से जुड़े क्षेत्रों के नतीजे शामिल हैं।
आईआईटी दिल्ली ने दुनिया की सबसे किफायती आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन) आधारित जांच किट तैयार की है जिसका आधार मूल्य 399 रुपये है। आरएनएए एसिड आइसोलेशन और लैबोरेटरी शुल्क को जोडऩे के बाद प्रत्येक परीक्षण की लागत काफ ी कम होगी। अपेक्षाकृत कम जांच वाले डायग्नॉस्टिक किट का निर्माण दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) स्थित न्यूटेक मेडिकल डिवाइसेज द्वारा किया गया है। आईआईटी दिल्ली ने 10 कंपनियों को कोविड-19 के लिए शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई तकनीक का इस्तेमाल कर डायग्नॉस्टिक किट का निर्माण करने के लिए लाइसेंस दिया है।
आईआईटी मद्रास के स्टार्टअप मॉड्यूलस हाउसिंग ने एक पोर्टेबल अस्पताल की इकाई तैयार की है जिसे कहीं भी दो घंटे के भीतर चार लोगों की मदद से स्थापित किया जा सकता है। प्रत्येक मेडिकैब यूनिट को लगाने की लागत करीब 14.15 लाख रुपये है। संस्थान ने सरकारी अस्पताल के साथ मॉड्यूलर डॉफि ंग यूनिट का डिजाइन करने और तेजी से निर्माण करने के अलावा पीपीई को सुरक्षित तरीके से हटाने के लिए सहयोग किया है। निर्माण से लेकर चेन्नई तक भेजने के लिए परिवहन सहित एक इकाई की लागत लगभग 4 लाख रुपये है। अगर बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू होता है तो लागत कम हो जाएगी। छात्रों और शोधकर्ताओं ने इसके लिए काफी काम किया है। आईआईटी से स्नातक करने वाले टी ई एस माधवन ने कोविड के लिए भाप पर आधारित कीटाणुरोधी इकाई तैयार की है जो प्राकृतिक तेल पर आधारित है। दबाव से संचालित यह इकाई मनुष्यों को भाप देने के अलावा प्राकृतिक अर्क का छिड़काव भी करती है ताकि सामुदायिक प्रसार रोका जा सके। इस यूनिट में प्राकृतिक अर्क वाले भाप का इस्तेमाल होता है ताकि वायरस कमजोर पड़ जाए। यह सोडियम हाइपोक्लोराइट, डिटॉल, लाइजॉल और दूसरे रासायनिक कीटाणुशोधन की जगह काम करता है। अगर कोई व्यक्ति इस यूनिट के अंदर जा रहा है और कम से कम 30 सेकंड तक इसमें खड़ा रहता है तो वे सिर से लेकर पांव तक कीटाणुरहित हो सकते हैं। आईआईटी हैदराबाद ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) द्वारा संचालित प्वाइंट ऑफ  केयर कोविड जांच किट तैयार की है। प्रत्येक जांच की लागत इस समय करीब 600 रुपये प्रति उपकरण है। हालांकि, जांच किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन से लागत घट कर प्रति जांच करीब 350 रुपये तक हो सकती है। आईआईटी मंडी के छात्रों और शोधकर्ताओं ने एक स्वदेशी तकनीक तैयार की है ताकि पीईटी बोतलों के अपशिष्ट पदार्थ की मदद से बेहतर क्षमता वाला फेसमास्क, यूवी-सी डिसइन्फेक्शन बॉक्स, पैरों से संचालित हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर तैयार किया जा सके। इससे जोखिम कम हो सकेगा। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के छात्रों और शोधकर्ताओं ने निदान और निगरानी पर जोर देने के साथ ही अस्पताल में सहायक उपकरणों, सैनिटाइजेशन, कीटाणुशोधन के साथ-साथ वैक्सीन तैयार करने पर भी ध्यान दिया है।
केरल स्थित राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरजीसीबी) ने रैपिड ऐंटीबॉडी कार्ड, वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया (वीटीएम) किट और एक वायरल आरएनए निष्कर्षण किट तैयार की है। स्पेरोजेंक्स बायोसाइंसेज और पीओसीटी सर्विसेज के साथ साझेदारी में आरजीसीबी ने सार्स-सीओवी-2 डायग्नॉस्टिक समाधान पर काम किया है।
रैपिड ऐंटीबॉडी कार्ड से ऐंटी-सार्स-सीओवी-2 आईजीजी ऐंटीबॉडी की उपस्थिति का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। इसके लागत प्रभावी होने के साथ ही तेजी से जांच करने से जुड़े फ ायदे भी हैं। इसमें किसी भी स्तर पर बड़ी तादाद में नमूनों की जांच क्लीनिकल सेटिंग के साथ ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में संभव है जो वर्तमान में एक बड़ी चुनौती है। वीटीएम किट में रेफ्रिजरेटेड तापमान पर करीब 72 घंटे तक वायरस को बनाए रखने में मदद मिलती है। हालांकि ऐसे समान उत्पाद मौजूद हैं लेकिन इस किट को 30 से 35 प्रतिशत कम कीमत पर बेचा जा सकता है।  वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रो वाइस चांसलर आनंद सैम्यूल ने कहा कि वे कोविड-19 की तेज जांच के लिए एक फाइबर ऑप्टिक बायोसेंसर तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा कोविड-19 के वायरल ऐंटीजन की विशेष जांच के लिए एक मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडी तैयार कर रहे हैं। शोधकर्ता एक पांच परतों वाला मास्क भी तैयार कर रहे हैं जिसमें एंटीमाइक्रोबियल गुणवत्ता वाला एक नैनो फिल्टर भी होगा।

First Published : July 17, 2020 | 11:25 PM IST