वर्ष 1993 में सुनील वाच्छानी ने अपने पिता (स्व. सुंदर टी वाच्छानी) से कैथॉड रे ट्यूब टीवी सेट लकी गोल्डस्टार (अब एलजी) निर्माण के लिए कुछ पूंजी उपलब्ध कराने को कहा था। लेकिन भारत में वेस्टन टीवी ब्रांड को स्थापित कर चुके उनके पिता को उनका यह आइडिया अच्छा नहीं लगा था। उन्होंने महसूस किया कि कंपनियां अपने व्यवसाय का मुख्य क्षेत्र (निर्माण) को छोडऩे को तैयार नहीं होंगी। लेकिन बाद में यह साबित हुआ कि वह निर्णय गलत था।
सुनील वाच्छानी का कहना है कि जब वह ब्रिटेन में अपनी प्रबंधन डिग्री के लिए अध्ययन कर रहे थे तो उन्होंने महसूस किया कि वैश्विक उपभोक्ता ब्रांड अपना निर्माण कार्य थर्ड पार्टी को आउटसोर्स करने के चलन पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि सिर्फ डिजाइन, विपणन और ब्रांड निर्माण पहलुओं को लेकर नियंत्रण अपने हाथ में रख रहे हैं। वाचानी का कहना है, ‘हम इस क्षेत्र में शुरुआती कंपनियों में से एक थे। शुरू से ही हमारी मुख्य धारणा यह थी कि हम एक ऐसी नई ईएमएस कंपनी होंगे जिसने अपने स्वयं के ब्रांड कभी तैयार नहीं किए।’
आज वाच्छानी की सूचीबद्घ कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज टेलीविजन निर्माण के अलावा भी काफी आगे बढ़ गई है। आठ साल पहले मोतीलाल ओसवाल से निजी इक्विटी फंडिंग से समर्थित कंपनी ने स्वयं को 4,400 करोड़ रुपये के इलेक्क्टॉनिक निर्माण सेवा (ईएमएस) प्रदाता के तौर पर स्थापित किया, जो अब लाइटिंग उत्पादों, होम अप्लायंस, फीचर फोन, एलईडी बल्ब समेत कई व्यवसायों से जुड़ी हुई है। साथ ही कंपनी शेयर बाजार में भी आकर्षण नाम बनी हुई है और उसका शेयर पिछले 6 महीने में दोगुना हुआ और बाजार पूंजीकरण चढ़कर 1.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
वाच्छानी अब विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की पीएलआई योजना से पैदा हुए नए अवसरों का लाभ उठाने पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने ऐसे तीन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है जिनमें वह पीएलआई योजना का लाभ उठाना चाहते हैं और ये क्षेत्र हैं – मोबाइल डिवाइस (डिक्सन पहले से ही इस योजना के तहत पात्र है), लैपटॉप, डेस्कटॉप और टैबलेट , तथा एलईडी बल्ब।
पीएलआई योजनाओं के दो लक्ष्य हैं। पहला, कंपनियों को प्रोत्साहन मुहैया कराकर भारत को कुछ खास उत्पादों का निर्यात हब बनाना। दूसरा, घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित कर और आयात घटाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में प्रयास।
वाच्छानी स्पष्ट तौर पर इन दोनों लक्ष्यों के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं दुनिया में प्रमुख 10 ईएमएस/ओडीएम (मूल डिजाइन निर्माता) कंपनियां में शामिल होना चाहूंगा।’ इसके लिए, उसका राजस्व सात-आठ गुना तक बढ़ाना होगा। उनकी कंपनी मौजूदा समय में प्रमुख-20 सूची में निचले पायदान पर काबिज है। वह मुख्य तौर पर ईएमएस कंपनी के बजाय ओडीएम दिग्गज के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि इससे मार्जिन बढ़ेगा और उन्हें नए उत्पाद पेश करने में ज्यादा आसानी होगी। कंपनी ने क्षमता निर्माण या विस्तार पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश करने की योजना बनाई है। इसके अलावा डिक्सन ने लैपटॉप, डेस्कटॉप और टैबलेट क्षेत्र में भी बड़ा दांव लगाने की तैयारी की है, जिसमें सरकार ने प्रोत्साहन के तौर पर पीएलआई योजना के तहत करीब 5,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं।
