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सुप्रीम कोर्ट ने ECC छूट खत्म की, दिल्ली में आवश्यक वस्तु ढुलाई के भाड़े में 5-20% का हो सकता है इजाफा

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में आवश्यक वस्तु ढुलाई करने वाले वाहनों की ECC छूट समाप्त की, जिससे ट्रांसपोर्टरों के भाड़े बढ़ेंगे और माल ढुलाई महंगी हो सकती है

Last Updated- October 02, 2025 | 5:06 PM IST
Trucks
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

उच्चतम न्यायालय ने आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने से पहले पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर (ECC) का भुगतान करने से दी गई एक दशक पुरानी छूट वापस ले ली है। जिसका असर माल ढुलाई पर पड़ सकता है। आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले ट्रांसपोर्टर भाड़े में वृद्धि कर सकते हैं।

वाणिज्यिक वाहनों पर कितना लगता है ECC?

राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वाणिज्यिक वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर लगाया था। माल से लदे बड़े वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर यह ECC 2,600 रुपये है, जबकि छोटे वाहनों के लिए यह 1,400 रुपये है।

खाली वाहनों को इस शुल्क में 50 फीसदी छूट दी जाती है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने 2015 में आवश्यक वस्तुएं जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडा, बर्फ (खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाने के लिए), पोल्ट्री सामान आदि ले जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों को ECC से छूट दी गई थी।

ECC छूट हटने का भाड़े पर क्या होगा असर?

उच्चतम न्यायालय द्वारा आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करने वाले वाणिज्यिक वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करने पर ECC से दी गई छूट वापस लेने से ढुलाई महंगी हो सकती है। ऑल इंडिया मोटर ऐंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली के ट्रांसपोर्टर राजेंद्र कपूर ने बताया कि दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की ज्यादातर आपूर्ति आसपास के राज्यों से होती है, इन राज्यों में भी ढुलाई का दायरा 100 से 300 किलोमीटर है।

छोटी गाड़ियों से ढुलाई का भाड़ा 5,000 से 1,2000 रुपये के बीच है और बड़ी गाड़ियों से 8,000 से 25,000 रुपये है। बहुत दूर से आने पर भी भाड़ा 50 हजार रुपये से अधिक नहीं हैं। ECC छूट वापस होने से अब छोटी गाड़ियों को 1,400 रुपये और बड़ी गाड़ियों को 2,600 रुपये टोल के रूप में देने होंगे। कपूर ने कहा कि ECC लगने से बड़ी गाडि़यों से आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई के भाड़े में दूरी के आधार पर 5 से 20 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन प्रदीप सिंघल ने कहा कि कश्मीर से सेब मंगाने पर भाड़ा 40 से 50 हजार रुपये है। 2,600 रुपये ECC देने पर इसके भाड़े में भी करीब 5 फीसदी इजाफा होगा। हालांकि सीएनजी वाहनों को ECC से पहले की तरह छूट जारी रहेगी। जिससे इनके भाड़े में इजाफा नहीं होगा।

Also Read: सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के सीमित उत्पादन की अनुमति दी, Delhi-NCR में बिक्री पर रोक बरकरार

उच्चतम न्यायालय ने क्यों वापस ली ECC छूट?

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले आवश्यक माल वाहकों के लिए पर्यावरण उपकर छूट समाप्त कर दी है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने यह आदेश 26 सितंबर को पारित किया, जिसे हाल ही में सार्वजनिक किया गया। पीठ ने कहा कि अक्टूबर 2015 में दी गई यह छूट ‘‘वास्तविक परिचालन कठिनाइयां’’ पैदा कर रही थी और कर के उद्देश्य को कमजोर कर रही थी।

पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें ‘‘इस न्यायालय के नौ अक्टूबर 2015 के आदेश के अनुसरण में आवश्यक वस्तुएं जैसे सब्जियां, फल, दूध, अनाज, अंडा, बर्फ (खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाने के लिए), पोल्ट्री सामान आदि ले जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों को ECC से दी गई छूट को हटाने का अनुरोध किया गया था।’’ निगम ने बताया कि अदालत द्वारा दी गई छूट के कारण वाहनों को रोककर यह जांचना पड़ता है कि वे आवश्यक वस्तुएं ले जा रहे हैं या नहीं। इससे काफी वक्त बर्बाद होता है और वाहन लगातार धुआं उत्सर्जित करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह वास्तव में एक परेशानी है। वाहनों में ले जा रही सामग्री का बाहरी निरीक्षण करना कठिन है। इसलिए सभी वाहनों को जांच चौकी पर रोकना पड़ता है और उनकी जांच करनी पड़ती है, जिससे लंबी रुकावटें होती हैं और वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है।’’ साथ ही, न्यायालय ने यह भी कहा कि लगाया गया शुल्क इतना अधिक नहीं है कि आम उपभोक्ताओं की कीमतों पर नकारात्मक असर पड़े।

हरित पटाखे बनाने को मिल चुकी है अनुमति

पीठ ने प्रमाणित निर्माताओं को इस शर्त पर हरित पटाखे बनाने की अनुमति भी दी कि वे बिना अनुमति के दिल्ली-NCR में पटाखे नहीं बेचेंगे। पीठ ने केंद्र से दिल्ली-NCR में पटाखों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नए सिरे से विचार करने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले दिल्ली सरकार, विनिर्माताओं और विक्रेताओं समेत सभी हितधारकों से परामर्श करे।

First Published - October 2, 2025 | 4:58 PM IST

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