देश में दो टीकों को मंजूरी के बाद अगले सप्ताह से व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। ऐसे में सरकार टीकों की कीमत पर विनिर्माताओं के साथ बातचीत कर रही है। माना जा रहा है कि हैदराबाद की भारत बायोटेक सरकार को आपूर्ति के लिए अपने टीके कोवैक्सीन की कीमत अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके से कम रख सकती है। कोवैक्सीन स्वदेशी टीका है, जिसे भारत बायोटेक ने देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर बनाया है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार दोनों टीका विनिर्माता कंपनियों के साथ जल्द ही करार कर सकती है। सरकार इसलिए समय ले रही है क्योंकि वह शुरुआती टीकाकरण के लिए टीका विनिर्माताओं के साथ कम से कम दाम पर सौदा करने की कोशिश कर रही है। एक सूत्र ने कहा, ‘भारत बायोटेक के अपने टीके की कीमत अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और अपनी प्रतिस्पर्धी से कम रखने के आसार हैं। यह कंपनी पहले भी भारत में आपूर्ति के लिए कीमतें अत्यधिक प्रतिस्पर्धी रखती रही है।’
घटनाक्रम से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा कि कोवैक्सीन ने अभी क्लीनिकल परीक्षण का तीसरा चरण पूरा नहीं किया है और उसके असरदार होने के आंकड़े नहीं आए हैं। सूत्र ने कहा, ‘अभी टीके को चिकित्सकीय परीक्षण के तौर पर शुरू करने की मंजूरी दी गई है। इसका मतलब है कि लोगों को टीका लगवाने से पहले अपनी सहमति देनी होगी और उनकी नियमित रूप से निगरानी की जाएगी। ऐसे में इसकी कीमतें कम होंगी।’ हालांकि कंपनी ने इस बारे में पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि वह अपने कोविशील्ड टीके की सरकार को शुरुआती 10 करोड़ खुराक की आपूर्ति की कीमत 200 रुपये प्रति खुराक रखेगी। सीरम मात्रात्मक लिहाज से विश्व की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता कंपनी है। कोविशील्ड टीका ऑक्सफर्ड और ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि खुले बाजार में कोविशील्ड की कीमत 1,000 रुपये प्रति खुराक रखी जाएगी। कंपनी सरकार को आपूर्ति करने के बाद खुले बाजार में टीका उपलब्ध कराएगी। भारत बायोटेक के सीएमडी कृष्णा एल्ला ने कहा कि कीमत मात्रा पर निर्भर करेगी। बाजार प्रतिस्पर्धा से कीमतें नीचे आएंगी।
कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकों की लोगों को दो-दो खुराक लगेंगी। सरकार की शुरुआती चरण में 30 से 35 करोड़ लोगों के टीकाकरण की योजना है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के लिए 60 से 70 करोड़ खुराकों की खरीद की जाएगी।
सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि उसके इन कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय करारों को पूरा करने की मंजूरी से पहले वह पहले चरण के लिए पर्याप्त खुराक खरीद ले। एक सूत्र ने कहा, ‘एस्ट्राजेनेका के साथ एक स्वदेशी टीके को मंजूरी दिए जाने की मुख्य वजह यह थी कि केंद्र कवरेज (दवा नियामक ने कहा है कि कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के नए किस्म को रोकने में मददगार साबित हो सकता है) और कीमत को लेकर ज्यादा विकल्प रखना चाहता था। यही वजह है कि आपूर्ति करार होने में थोड़ा समय लग रहा है।’
