उच्चतम न्यायालय ने आज भारत के विमान वाहक पोत ‘विराट’ की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इस विमान वाहक पोत ने भारतीय नौसेना में करीब तीन दशक तक सेवा दी और इसे अब सेवा से बाहर कर दिया गया है। पोत को अब तोड़ा जाना है लेकिन एक कंपनी ने इस पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले पीठ ने कंपनी की याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। कंपनी इसे संग्रहालय बनाना चाहती है। सेंटूर वर्ग का विमान वाहक पोत आईएनएस विराट 29 साल तक भारतीय नौसेना में रहा और मार्च 2017 में इसे सेवा से हटा दिया गया।
केंद्र ने जुलाई 2019 को संसद को सूचित किया था कि भारतीय नौसेना के साथ सलाह मशविरे के बाद ‘विराट’ को कबाड़ में देने का फैसला किया गया।
वहीं इस जहाज को खरीदने वाली गुजरात की शिप ब्रेकर ने कहा कि अब इस जहाज को फिर से यथावत बहाल रखने के लिए बहुत देर हो चुकी है। पिछले साल जुलाई में 38.54 करोड़ रुपये में इसे खरीदने वाले भावनगर जिले के अलंग स्थित श्री राम समूह के चेयरमैन मुकेश पटेल ने कहा कि अब तक इसे नष्ट करने का 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने दिसंबर 2020 में इस जहाज को तोडऩे का काम शुरू किया और अब इसके काटे जा चुके हिस्से को यथावत करना असंभव है।