उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को अपना कामकाज शुरू करने की अनुमति दे दी है। बहरहाल यह कुछ कार्र्यों तक सीमित रहेगा। करीब 6 महीने की बंदी के बाद नियामक अब अपने प्रशासनिक दायित्वों का काम शुरू कर सकता है और जिन मामलों में आदेश लंबित हैं, उन्हें निपटा सकता है।
सीईआरसी की गणपूर्ति में बिजली मंत्रालय अनिवार्य सदस्य (कानून) नियुक्त करने में विफल रहा था, उसके बाद अगस्त 2020 से ही देश के शीर्ष बिजली नियामक का कामकाज निलंबित है। यह मामला उच्चतम न्यायालय के अप्रैल 2018 के आदेश से जुड़ा है, जब उसने सभी राज्य बिजली आयोगों को निर्देश दिा था कि वे कानून के क्षेत्र से एक सदस्य नियुक्त करें, जिनकी योग्यता उच्च न्यायालय या जिला जज बनने की हो। शीर्ष न्यायालय ने कानून सदस्य की नियुक्ति न होने तक दो अन्य सदस्यों को छुट्टी पर चले जाने का आदेश दिया था, जिसकी वजह से सीईआरसी का कामकाज लंबित था। नियामक में चेयरमैन और दो अन्य सदस्य होते हैं। दिसंबर 2020 में पीके सिंह को सीईआरसी में सदस्य (कानून) के रूप में नियुक्ति की मंजूरी मिली थी, जिन्हें अभी पदभार संभालना है।
ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों को धन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पूर्ववर्ती सरकारों को यह कहते हुए आड़े हाथों लिया कि उनकी ‘गलत’ नीतियों का खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि पूर्व में गरीबों को विश्वास ही नहीं था कि सरकार भी घर बनाने में उनकी मदद कर सकती है। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के 6.1 लाख हजार लाभार्थियों को लगभग 2,691 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी करने के बाद कहा, ‘गलती गलत नीतियों (पूर्ववर्ती सरकारों) की थी, लेकिन नियति के नाम पर गरीबों को भुगतना पड़ता था।’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए गरीब की जिंदगी में बदलाव लाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच मूर्त रूप ले रही है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत उत्तर प्रदेश के 610000 लाभार्थियों के खाते में 2690.77 करोड़ रुपये की धनराशि के डिजिटल अंतरण के अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश के हर गरीब, किसान, मजदूर, महिला, नौजवानों को केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिला है। भाषा