ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने विवाद के समाधान के लिए भारत सरकार को नया प्रस्ताव दिया है। केयर्न एनर्जी ने सरकार से कहा कि अगर वह मध्यस्थता आदेश को लागू करती है तो कंपनी इसके तहत मिलने वाले 1.2 अरब डॉलर राशि को भारत में निवेश करने के लिए तैयार है। भारत और केयर्न एनर्जी के बीच कर विवाद को लेकर सरकार ने 1.2 अरब डॉलर के मध्यस्थता आदेश को हेग की अदालत में चुनौती दी है।
हालांकि सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि ऐसा करने का मतलब होगा कि सरकार ने फैसले को स्वीकार कर लिया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘सरकार किसी भी सूरत में इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी। हमने आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इसके लिए हमने उन्हें विवाद से विश्वास योजना के तहत आने और मूल कर राशि का 50 फीसदी भुगतान करने तथा ब्याज एवं जुर्माना माफ करा विवाद निपटाने के लिए कहा है। इससे करीब 30 करोड़ डॉलर का रिफंड मिल सकता है।’
अधिकारी ने कहा, ‘भारत निवेश के लिहाज से आकर्षक देश है। ऊर्जा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की शर्तों में भी ढील दी गई है। लेकिन मध्यस्थता और संपत्तियां जब्त करने की धमकी देने से केयर्न के लिए यहां निवेश करना कठिन होगा।’ भारत इस आदेश पर डेनमार्क की अदालत से स्थगनादेश की उम्मीद कर रहा है। इसके आधार पर ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और फ्रांस की अदालतों में भी फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की जाएगी।