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कोविड से हुई 92 प्रतिशत मौतें टीका नहीं लेने वालों की

Last Updated- December 11, 2022 | 8:56 PM IST

जनवरी से फरवरी 2022 की बीच कोविड से होने वाली कुल मौतों में 92 प्रतिशत हिस्सा गैर-टीकाकरण वाले लोगों का रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। सरकार ने कहा कि टीकाकरण देश को कम कोरोनावायरस वाले चरण में लाकर स्कूलों को खोलने और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रहा है, हालांकि इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि ओमीक्रोन का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) और राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन वीके पॉल ने कहा कि टीकों ने लहर के दौरान राष्ट्र की रक्षा की है। हम एक टीका-संपन्न कम कोरोनावायरस वाले चरण में हैं। स्कूलों, कॉलेजों, रिसॉर्ट, आर्थिक गतिविधियों और समाज के सामान्य काम-काजों को खोलना तर्कसंगत है। लेकिन हमें वायरस के व्यवहार में परिवर्तन के प्रति एकजुट और सावधान रहना चाहिए।
टीके की कारगरता का यह अध्ययन कोविन, आईसीएमआर जांच और इंडिया पोर्टल डेटाबेस जैसे विभिन्न राष्ट्रीय डेटाबेस के 94,47,09,598 व्यक्तियों के आंकड़ों पर आधारित है।
पॉल ने कहा कि यह वैश्विक महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और देश को तैयार रहने की जरूरत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कुछ देशों में कोविड के मामले और मौतें अब भी बढ़ रही हैं, जिनमें हॉन्गकॉन्ग, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड जैसे देश शामिल हैं। भारत के कुल सक्रिय कोविड मामलों में आधी हिस्सेदारी तीन राज्यों की है, जिनमें केरल, महाराष्ट्र और मिजोरम
शामिल हैं।
जहां एक ओर वैश्विक स्तर पर ओमीक्रोन की लहर का शीर्ष स्तर पिछले दर्ज शीर्ष स्तर से लगभग 4.68 गुना अधिक था, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि न केवल भारत में दर्ज किया गया शीर्ष स्तर काफी कम रहा, बल्कि निरंतर प्रयासों से मामलों में भारी गिरावट भी आई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2 फरवरी से शुरू होने वाले पिछले चार सप्ताहों के दौरान दुनिया के 22.8 प्रतिशत की तुलना में भारत ने मौतों में 76.6 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की है। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि टीके के विकास, इसके तेजी से प्रयोग और स्वीकृति तथा व्यापक स्तर पर पहुंच के कारण भारत में मौतों की संख्या काफी कम रही है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के टीके की पहली खुराक मृत्यु दर रोकने में 98.9 प्रतिशत कारगर है, जबकि दोनों खुराकें 99.3 प्रतिशत कारगर हैं।
मृत्यु दर को कम रखने में टीकाकरण के फायदों को स्वीकार करते हुए सरकार ने कहा कि अभी तक इस बात का फैसला नहीं हुआ है कि क्या लोगों को वार्षिक आधार पर टीके दिए जाएंगे। टीकों की बूस्टर खुराक के मिश्रण और मिलान के संबंध में भी अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
पॉल ने कहा कि अध्ययन जारी है और एनटीएजीआई प्रणाली में समीक्षा की जा रही है।
अब तक 15-18 वर्ष की आयु के 74 प्रतिशत किशोरों को कोविड-19 के टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है और 39 प्रतिशत को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं।

First Published - March 3, 2022 | 11:36 PM IST

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