अमेरिका 2 सितंबर 2025 से अपने इंटरव्यू वेवर प्रोग्राम, जिसे आमतौर पर ‘ड्रॉपबॉक्स’ कहा जाता है, को ज्यादातर नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा कैटेगरी के लिए बंद करने जा रहा है। इसमें वर्क वीज़ा और स्टूडेंट वीज़ा जैसी कैटेगरी भी शामिल हैं। इस फैसले के बाद अधिकतर आवेदकों को, चाहे उनका वीज़ा रिकॉर्ड साफ ही क्यों न हो, अब इन-पर्सन इंटरव्यू देना होगा।
ड्रॉपबॉक्स प्रोग्राम के तहत योग्य यात्री बिना इंटरव्यू दिए अपने दस्तावेज़ तय सेंटर पर जमा कर सकते थे। यह प्रक्रिया तेज और तनावमुक्त थी, खासकर भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों के लिए। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट” के तहत इसे सुरक्षा और कड़ी जांच के नाम पर बंद किया जा रहा है।
नए नियम के तहत H-1B, H-4, L-1, F, M, O-1 और J जैसी वीज़ा कैटेगरी में अब इंटरव्यू छूट नहीं मिलेगी। पहले जहां 14 साल से कम उम्र के बच्चों और 79 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को छूट मिलती थी, अब वे भी इसके योग्य नहीं होंगे। केवल कुछ कूटनीतिक और आधिकारिक वीज़ा (A, G, NATO, TECRO) ही इस सुविधा के अंतर्गत रहेंगे। सीमित B-1/B-2 टूरिस्ट और बिज़नेस वीज़ा रिन्यूअल को ही सख्त शर्तों के तहत छूट मिलेगी और योग्य होने पर भी काउंसुलर ऑफिसर इंटरव्यू बुला सकते हैं।
भारत, ड्रॉपबॉक्स सेवा का सबसे बड़ा इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक है। यहां पहले से ही अमेरिकी वीज़ा के लिए दुनिया का सबसे लंबा वेटिंग टाइम है। इस सुविधा के हटने से इंटरव्यू स्लॉट की मांग तेजी से बढ़ेगी, वेटिंग टाइम कई महीनों तक खिंच सकता है, कंपनियों के H-1B स्टाफ के प्रोजेक्ट शेड्यूल बिगड़ सकते हैं और छात्रों की पढ़ाई की योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। दरअसल, कुछ आवेदकों के अगस्त और सितंबर के ड्रॉपबॉक्स स्लॉट पहले ही कैंसिल किए जा चुके हैं और उन्हें इन-पर्सन इंटरव्यू बुक करने के निर्देश दिए गए हैं।
अगर किसी का अपॉइंटमेंट कैंसिल हो जाता है तो उन्हें तुरंत अपना ईमेल चेक करना चाहिए कि काउंसुलेट से नोटिस आया है या नहीं। फिर वीज़ा प्रोफाइल में लॉगिन करके नई बुकिंग करनी होगी और बदले हुए पात्रता सवालों के जवाब देते हुए एप्लिकेशन दोबारा भरनी होगी। अच्छी बात यह है कि कैंसिलेशन को आपके री-शेड्यूल की अधिकतम सीमा में नहीं गिना जाएगा।
इमिग्रेशन वकीलों का मानना है कि इन बदलावों का असर तुरंत और बड़े पैमाने पर होगा। खासकर स्टूडेंट और वर्क वीज़ा के लिए इंटरव्यू स्लॉट की भारी मांग होगी, जिससे बैकलॉग और देरी बढ़ जाएगी। अमेरिका में वैध स्टेटस होने के बावजूद जिनका वीज़ा खत्म हो चुका है या जिनका पिछला वीज़ा अलग कैटेगरी का था, उन्हें यात्रा से पहले सावधान रहना होगा, क्योंकि वापसी पर अब इंटरव्यू जरूरी होगा और देरी या रिजेक्ट का खतरा रहेगा।
इन हालात में DS-160 फॉर्म समय से भरना और MRV फीस जल्द जमा करना जरूरी है। सभी जरूरी दस्तावेज पहले से तैयार रखें और अपने लोकल अमेरिकी दूतावास या काउंसुलेट की वेबसाइट नियमित रूप से चेक करते रहें। इंटरव्यू बुकिंग और प्रोसेसिंग के लिए अतिरिक्त समय रखें। वहीं, कंपनियों को अपने स्टाफ की यात्रा और जॉइनिंग योजनाओं में बदलाव करना होगा ताकि इन देरियों का असर कम किया जा सके।
कुछ चुनिंदा आवेदक ही अब इस सुविधा का लाभ ले पाएंगे। इनमें डिप्लोमैटिक और आधिकारिक वीज़ा धारक (A-1, A-2, C-3, G-1 से G-4, NATO, TECRO E-1) शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ B-1/B-2 वीज़ा रिन्यूअल के मामले में छूट मिल सकती है, लेकिन इसके लिए पिछला वीज़ा फुल-वैलिडिटी का होना चाहिए, वह 12 महीने के भीतर एक्सपायर हुआ हो, 18 साल की उम्र के बाद जारी हुआ हो, उसी कैटेगरी में रिन्यू हो रहा हो और पहले कभी रिजेक्ट या इनएलिजिबल न हुआ हो। इसके बावजूद, काउंसुलर ऑफिसर इंटरव्यू बुलाने का अधिकार रखते हैं।