ताइवान ने सोमवार को कहा कि बीते चौबीस घंटे की अवधि में चीन के 103 लड़ाकू विमानों ने उसकी तरफ उड़ान भरी। यह हाल के वर्षों में चीन द्वारा एक दिन में ताइवान की तरफ भेजे जाने वाले लड़ाकू विमानों की सर्वाधिक संख्या है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने सोमवार सुबह छह बजे समाप्त हुई चौबीस घंटे की अवधि में 103 चीनी लड़ाकू विमानों के द्वीप की तरफ उड़ान भरने का पता लगाया।
मंत्रालय के मुताबिक, चीनी विमान हमेशा की तरह ताइवान में दाखिल होने से पहले ही लौट गए। चीनी लड़ाकू विमान लगभग नियमित रूप से ताइवान की तरफ उड़ान भरते हैं, लेकिन उनकी संख्या अक्सर कम होती है। दरअसल, ताइवान एक स्वशासित द्वीप है, जिन पर चीन अपना दावा जताता है। चीन ने ताइवान और अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच द्वीप के आसपास हवा और पानी में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किए हैं, जिसे कुछ देश उकसावे भरी कार्रवाई के रूप में देखते हैं।
अमेरिका ताइवान का मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता है और वह ताइवान की स्थिति को बलपूर्वक बदलने के किसी भी प्रयास का विरोध करता है। चीन सरकार चाहती है कि ताइवान स्वेच्छा से उसका नियंत्रण स्वीकार कर ले। चीन ने ताइवान के पास स्थित अपने फुजियान प्रांत में एक एकीकृत विकास प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना संबंधी योजना से भी पर्दा उठाया था, जिसे विशेषज्ञों ने द्वीप को लुभाने के साथ-साथ उसे चेतावनी देने की कोशिश बताया था।
चीन की हालिया कार्रवाई ताइवान में अगले साल जनवरी में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास हो सकती है। सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, जो द्वीप की औपचारिक स्वतंत्रता की पक्षधर है, चीन सरकार के खिलाफ मुखर रही है। इसके चलते चीन विपक्षी उम्मीदवारों का समर्थन करता है, जो उसके साथ काम करने की वकालत करते हैं।
चीन की ताजा सैन्य कार्रवाई पर ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रविवार सुबह से सोमवार तड़के के बीच द्वीप की तरफ उड़ान भरने वाले 40 चीनी विमानों ने ताइवान और मुख्य भूमि चीन के बीच प्रतीकात्मक मध्य रेखा को पार किया, जिनमें 30 लड़ाकू जेट और बीच हवा में ईंधन भरने में सक्षम टैंकर विमान शामिल हैं।
मंत्रालय के अनुसार, चीन ने चौबीस घंटे की अवधि में द्वीप की तरफ नौ नौसैनिक पोत भी भेजे। मंत्रालय ने चीन की सैन्य कार्रवाई को “उत्पीड़न” करार दिया। उसने चेताया कि इससे क्षेत्र में पहले से ही व्याप्त तनाव में और इजाफा हो सकता है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “हम बीजिंग के अधिकारियों से जिम्मेदारी लेने और इस तरह की विनाशकारी सैन्य गतिविधियों को तुरंत रोकने का आग्रह करते हैं।”
ताजा सैन्य कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि ताइवान मुख्यभूमि चीन का हिस्सा है, ऐसे में “मध्यवर्ती रेखा” जैसी कोई चीज ही नहीं है। चीन ने पिछले हफ्ते ताइवान के पास जल क्षेत्र में विमानवाहक पोत शेदॉन्ग सहित जहाजों का एक बेड़ा भेजा था। यह कदम अमेरिका और कनाडा के ताइवान जलडमरूमध्य के रास्ते युद्ध पोत रवाना करने के तुरंत बाद उठाया गया था।
ताइवान जलडमरूमध्य ताइवान को मुख्य भूमि चीन से अलग करता है। ताइवान और चीन 1949 में तब अलग हो गए थे, जब गृहयुद्ध के दौरान कम्युनिस्टों ने चीन पर कब्जा कर लिया था। हारने वाले राष्ट्रवादी ताइवान भाग गए और द्वीप पर अपनी सरकार बनाई। दुनिया के कुछ ही देश ताइवान को राजनयिक मान्यता देते हैं।