facebookmetapixel
2026 में डेट फंड में निवेश कैसे करें? ज्यादा रिटर्न के लालच से बचें, शॉर्ट और मीडियम-ड्यूरेशन फंड्स पर रखें फोकसलंदन पार्टी वीडियो पर हंगामा, ललित मोदी ने भारत सरकार से मांगी माफीटायर स्टॉक पर Motilal Oswal बुलिश, कहा– वैल्यूएशन सपोर्टिव; ₹600 तक जाएगा शेयर!2025 में डर और लालच ने निवेशकों को क्या सिखाया और 2026 में इसमें क्या बदलाव कर सकते हैं?Aravalli Hills Row: सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स फैसले को रोका, नए विशेषज्ञ पैनल से समीक्षा का आदेशNew Year 2026: 8वें वेतन आयोग से पैन-आधार तक, नए साल में बदलने वाले हैं ये बड़े नियमUnnao rape case: कुलदीप सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, जेल में ही रहेंगे50% रिटर्न देगा ये IT Stock! ब्रोकरेज बोले – खरीद लो, अमेरिकी कंपनी की खरीद से बदलेगा गेम2025 में बदला भारत का रिटेल गेम: 10 मिनट से 30 मिनट डिलीवरी तक, क्विक कॉमर्स बना नया नॉर्म2025 का कॉर्पोरेट ड्रामा: इंडिगो से जेएसडब्ल्यू तक संचालन की कसौटी

हफ्ते की शख्सियत

Last Updated- December 06, 2022 | 10:42 PM IST

भारतीय मूल के विक्रम पंडित ने जब दुनिया के सबसे बड़े बैंक सिटीग्रुप के सीईओ का पदभार संभाला था तब शायद उन्होंने भी यह नहीं सोचा होगा कि उनके लिए राह इतनी मुश्किल होगी।


पंडित को इस कुर्सी पर बैठे हुए भले ही चार महीने ही बीते हों, पर उन पर बैंक को घाटे से निकालने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत के नागपुर में जन्मे 51 वर्षीय पंडित को हेज फंड ओल्ड लेन पार्टनर्स में उनकी भूमिका को देखते हुए सिटीग्रुप में इस पद पर बिठाया गया था।


दो दशक तक मॉर्गन स्टैनली के निवेश बैंकिंग इकाई में सीईओ की कमान संभालने के बाद अपने कुछ सह कर्मियों के साथ पंडित ने इस हेज फंड की स्थापना की थी। कंपनी की गाड़ी चल निकली और पंडित के इस हेज फंड को सिटीग्रुप ने 2007 में 80 करोड़ डॉलर में खरीद लिया।


हालांकि तब भी कुछ विश्लेषकों ने आलोचना के स्वर बुलंद किए थे और कहा था कि जिस हेज फंड की कुल संपत्ति तकरीबन 4.5 अरब डॉलर की हो उसके लिए इतनी अधिक रकम चुकाना सही नहीं है। अब खुद उनकी कंपनी के लोगों का कहना है कि निवेशक इस बैंक के ओल्ड लेन हेज फंड से कदम वापस खींच रहे हैं और पंडित के पास इसे रोक पाने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं है।


यह दीगर है कि पंडित समय समय पर यह कहते आए हैं कि वह बैंक को नुकसान से बाहर निकालने के लिए बड़े कदम उठाएंगे। पर ये बड़े कदम कौन से होंगे अब तक पता नहीं चल पाया है। पिछले एक वर्ष के दौरान सिटीग्रुप के शेयरों के भाव 55 फीसदी के करीब गिरे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गत मंगलवार को अपने पहले पन्ने पर पंडित की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित नहीं करती है।


साथ ही अखबार में यह भी कहा गया था कि कंपनी के पद पर काबिज होते वक्त उन्होंने कंपनी के भविष्य को लेकर जो संभावनाएं जताई थीं, वह उन्हें पूरा करने की कोशिश में नहीं दिखाई पड़ते हैं। पंडित के बारे में एक बात जो दिलचस्प है वह यह है कि भले ही उन पर बैंक की कार्यप्रणाली और मुनाफे को पटरी पर लाने का बेहद दबाव हो, पर कंपनी उन्हें तनख्वाह देने के लिहाज से बहुत आगे नहीं है।


अभी हाल ही में फोर्ब्स ने 500 अमेरिकी कंपनियों के सीईओ की तनख्वाह की सूची जारी की थी, जिसमें पंडित का नाम सबसे नीचे था। भारी भरकम तनख्वाह उठाने वाले सीईओ में पंडित 495वें पायदान पर थे। पिछले वर्ष के आखिरी महीनों से अब तक सिटीग्रुप ने 45 अरब डॉलर बट्टे खाते में डाले हैं और कंपनी ने लाभांश में 41 फीसदी की कटौती की है।


वित्तीय हालात को सुधारने के लिए पंडित काफी समय से कहते आए हैं कि सालाना खर्चे में 20 फीसदी तक की कटौती की जाएगी। पर शायद पंडित की असली परीक्षा तब होगी जब वह शुक्रवार को विश्लेषकों और निवेशकों के साथ बैठक में कंपनी की रणनीति को लेकर प्रस्तुति देंगे।


हालांकि, इस बात को लेकर भी चर्चा जोरों पर है कि सिटीग्रुप अपने नुकसान की भरपाई के लिए 400 अरब डॉलर की संपत्ति बेचने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की बैठक में पंडित इस बारे में अपने पत्ते खोल सकते हैं।

First Published - May 9, 2008 | 11:37 PM IST

संबंधित पोस्ट