भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारत तथा अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में करने की इजाजत दे दी है। इस कदम का मकसद रूस तथा श्रीलंका जैसे देशों के साथ निर्यात एवं आयात के सौदे स्थानीय मुद्रा में करने की सहूलियत देना है।
आरबीआई ने आज जारी अधिसूचना में कहा, ‘वैश्विक व्यापार वृद्धि को सहारा देने, भारत से निर्यात को प्रोत्साहित करने तथा वैश्विक व्यापारी समुदायों के बीच भारतीय मुद्रा में दिलचस्पी और भी बढ़ाने के मकसद से बिल, भुगतान तथा आयात एवं निर्यात का निपटान रुपये में करने की अतिरिक्त व्यवस्था का फैसला लिया गया है।’
इस तरह के सौदे निपटाने के लिए व्यवस्था विकसित करने से पहले बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होगी। आरबीआई ने कहा, ‘व्यापारिक भागीदारी वाले दो देशों के बीच मुद्राओं की विनिमय दर बाजार तय कर सकता है।’ एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च में असोसिएट प्रोफेसर अनंत नारायणन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पहली नजर में इस परिपत्र का उद्देश्य रुपया-रूबल में व्यापार को अमल में लाना लगता है। इसकी भाषा से भी पता चलता है कि जरूरत पड़ने पर स्विफ्ट की जगह यह वैकल्पिक वित्तीय व्यवस्था होगी।’केंद्रीय बैंक की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार इस तरह के उपाय से उन देशों के साथ व्यापारिक सौदों का निपटान किया जा सकता है, जिन पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं।
भारत में बैंकों को रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति होगी। आरबीआई ने कहा कि किसी भी देश के साथ व्यापारिक सौदों के निपटान के लिए भारतीय बैंक उस साझेदार देश के बैंक का रुपया वोस्ट्रो खाता खोल सकते हैं। आरबीआई ने कहा, ‘इस व्यवस्था के तहत वस्तुओं या सेवाओं का आयात करने वाले भारतीय आयातक विदेशी विक्रेता/आपूर्तिकर्ता के बिल रुपये में भरेंगे, जो भागीदार देश के संबंधित बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा हो जाएंगे।’ इसी तरह भारतीय निर्यातक वस्तु एवं सेवा निर्यात के लिए भुगतान इस व्यवस्था के तहत रुपये में प्राप्त कर सकेंगे। मगर यह भुगतान भागीदार देश के संबंधित बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में मौजूद रकम से किया जाएगा।
एक बड़े बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘पहली नजर में लगता है कि इसका मकसद श्रीलंका के साथ व्यापार आसान बनाना है। आयात निर्यात बिल के लिए रुपये में भुगतान की अनुमति से अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी इस तरह से कारोबार किया जा सकता है और डॉलर की विनिमय दर का जोखिम कम किया जा सकता है। रूस के साथ भी इससे व्यापार में सुविधा होगी।’
श्रीलंका उच्चायोग के अनुसार भारत 2020 में श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था और दोनों के बीच 3.6 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
बार्कलेज में प्रबंध निदेशक और भारत में मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि रुपया हरेक मुद्रा के मुकाबले नहीं गिरा है। कई मुद्राओं के मुकाबले तो यह मजबूत हुआ है। इस व्यवस्था के जरिये मुद्रा में उतार-चढ़ाव पर लगाम का भी प्रयास हो सकता है। सैद्धांतिक तौर पर यह अच्छा कदम है और इससे आयातक तथा निर्यातक दोनों को लाभ होगा।
