अंतरराष्ट्रीय

SCO शिखर सम्मेलन में मोदी-पुतिन-शी की तिकड़ी पर पश्चिम की नजरें, दोस्ताना रिश्तों ने बढ़ाई हलचल

एससीओ शिखर सम्मेलन में मोदी, पुतिन और शी की दोस्ताना मुलाकात ने पश्चिमी मीडिया का ध्यान खींचा, भारत-रूस रिश्तों की मजबूती और अमेरिका की आलोचना दोनों सुर्खियों में रहे

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- September 01, 2025 | 11:16 PM IST

रूस के विदेश मंत्रालय ने सोमवार सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में थ्यानचिन में शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन स्थल पर रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दूसरे का हाथ गर्मजोशी से पकड़े हुए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की तरफ बढ़ रहे हैं। इस संक्षिप्त वीडियो में तीनों नेता अपने-अपने सहयोगियों के साथ दोस्ताना बातचीत करते भी दिखे।

एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र की शुरुआत से पहले हुई मोदी-पुतिन-शी की इस मुलाकात की पश्चिम में खूब चर्चा हो रही है। पश्चिमी मीडिया ने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को एक संदेश के रूप में पेश किया है। सम्मेलन जैसे-जैसे आगे बढ़ा, इस मजबूत तिकड़ी की कई और तस्वीरें तथा वीडियो सुर्खियां बनने लगे। खासकर मोदी और पुतिन के बीच दिख रहे दोस्ताना व्यवहार ने सबका ध्यान खींचा है।

मोदी ने करीब एक पखवाड़े पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि उन्हें उनके ‘मित्र’ पुतिन का कॉल आया, जिसमें उन्हें रूस के राष्ट्रपति ने अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी बैठक के बारे में जानकारी दी। अब थ्यानचिन में मोदी और पुतिन का एक-दूसरे का हाथ गर्मजोशी से पकड़ना, गले मिलना और साथ में लिमोजिन की सवारी करना पश्चिमी मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। रूसी राष्ट्रपति की भारी-भरकम बख्तरबंद महंगी कार लिमोजिन में दोनों नेताओं ने लगभग 50 मिनट तक ‘गोपनीय बातचीत’ की।

रूसी कच्चा तेल खरीदने के कारण बीते 7 अगस्त को भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ट्रंप के ऐलान के बाद भारत और रूस के बीच संबंध और घनिष्ठ हो गए। सोमवार को थ्यानचिन से आई तस्वीरों और व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाते हुए की गई टिप्पणियों से साफ हो गया कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार की चाह रखने वाले लोगों को अभी इंतजार करना होगा।

सोमवार सुबह 11.30 बजे जब मोदी और पुतिन थ्यानचिन में द्विपक्षीय वार्ता के लिए मिलने वाले थे, ठीक उसी समय अमेरिकी दूतावास ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट डाला। इस पोस्ट में कहा गया, ‘भारत-अमेरिका साझेदारी 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है और यह विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने वाली संभावनाओं पर रोशनी डालेगा।’

सोशल मीडिया पोस्ट में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के हवाले से कहा गया, ‘हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच स्थायी मित्रता हमारे सहयोग की आधारशिला है और हमारी आर्थिक संबंधों की अपार क्षमता को साकार करने में हमें आगे बढ़ाती है।’

थ्यानचिन में जब एससीओ का पूर्ण सत्र भारतीय समय अनुसार लगभग 11 बजे समाप्त हुआ तो समाचार एजेंसियों ने खबरें चलाईं कि पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री के लिए अपनी लिमोजिन में दस मिनट तक इंतजार करते रहे। पुतिन अपनी थ्यानचिन यात्रा के दौरान जिस होटल में ठहरे थे और जहां दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई, वहां तक की सवारी में केवल 15 मिनट लगे। लेकिन रूसी समाचार एजेंसी तास के अनुसार दोनों नेता फिर अपनी बातचीत जारी रखने के लिए कार के अंदर लगभग 45 मिनट तक बैठे रहे।

इसके बाद दोनों नेता अपने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल होने के लिए वार्ता कक्ष में चले गए। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी 50 मिनट तक चली। प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल पर बैठक के बाद राष्ट्रपति पुतिन और मैंने एक साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक के स्थल तक की यात्रा की। उनके साथ बातचीत हमेशा ज्ञानवर्द्धक होती है।’ क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बाद में कहा कि दोनों नेताओं ने कार में एक-दूसरे के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और रूस सबसे कठिन परिस्थितियों में भी हमेशा ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर खड़े रहे हैं। मोदी की यह टिप्पणी भारत-अमेरिका संबंधों में अस्थिरता के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी-पुतिन वार्ता में आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने पर विशेष रूप से चर्चा की गई। ऊर्जा, उर्वरक और व्यापार जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने पर भी प्रमुखता से बात हुई।

बैठक में शुरुआती संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन में शांति स्थापित करने के सभी हालिया प्रयासों का स्वागत करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल्द से जल्द शत्रुता समाप्त करने का रास्ता खोजना मानवता का आह्वान है। भारतीय पक्ष ने पुतिन को शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की के साथ मोदी की फोन पर हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी।

पुतिन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि रूस और भारत ने दशकों से ‘विशेष मैत्रीपूर्ण और विश्वास-आधारित’ संबंध बनाए रखे हैं और ये भविष्य के विकास की नींव है। उन्होंने कहा, ‘ये संबंध राजनीति से ऊपर है और इन्हें हमारे लोगों का भारी समर्थन मिलता रहा है।’

मोदी ने कहा कि 1.4 अरब भारतीय दिसंबर में भारत में रूस के राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘हमारा घनिष्ठ सहयोग न केवल दोनों देशों के लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी जरूरी है।’

इस बीच, एक संबंधित घटनाक्रम में भारत के तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक समाचार पत्र में अपने लेख में व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार नवारो की ‘लॉन्ड्रोमैट’ टिप्पणी को खारिज कर दिया। पुरी ने कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदने में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और यूक्रेन युद्ध के बाद इससे वैश्विक बाजारों को स्थिर और तेल के दाम नियंत्रण में रखने में मदद की है।

ब्राह्मण उठा रहे फायदा : नवारो

हालांकि, सोमवार की सुबह भारत में आई खबर में नवारो ने रविवार को फॉक्स न्यूज से कहा कि भारत में आम लोगों की कीमत पर ‘ब्राह्मण’ मुनाफाखोरी कर रहे हैं और इसे ‘बंद’ करने की आवश्यकता है। इन खबरों में नवारो को यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि भारत के प्रधानमंत्री एक महान नेता है, मगर उनकी समझ में यह नहीं आ रहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता के रूप में वह (मोदी) पुतिन और शी के साथ क्यों जा रहे हैं। नवारो ने कहा, ‘इसलिए मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि भारतीय लोग कृपया समझें कि यहां क्या हो रहा है। आपके हितों को दरकिनार कर ब्राह्मण (अभिजात्य वर्ग) मुनाफा कमा कर रहे हैं। हमें इसे रोकने की जरूरत है।’

First Published : September 1, 2025 | 11:16 PM IST