अंतरराष्ट्रीय

जापान भारत में 10 लाख करोड़ येन करेगा निवेश, मोदी ने ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का किया आग्रह

भारत-जापान शिखर सम्मेलन में 10 लाख करोड़ येन निवेश लक्ष्य तय हुआ, सेमीकंडक्टर, हाई स्पीड रेल और रक्षा सहयोग से साझेदारी नई ऊंचाई पर पहुंचेगी

Published by
अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 29, 2025 | 10:41 PM IST

जापान ने अपने निजी क्षेत्र के जरिये अगले 10 वर्षों में भारत में 10 लाख करोड़ येन (67 अरब डॉलर) के निवेश का लक्ष्य रखा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी कंपनियों से ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का आग्रह किया। मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के बीच टोक्यो में 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने कहा कि वे 21 परिणामों पर सहमत हुए हैं, जिनमें कई बड़े समझौते भी शामिल हैं।

दोनों पक्षों ने 13 प्रमुख समझौतों को अंतिम रूप दिया जिनमें रक्षा संबंधों को बढ़ाने की प्रतिबद्धता, भारत में महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज और खनन में जापानी निवेश, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, देश में हाई स्पीड रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिए जापानी सहायता और जापान में 50,000 कुशल और अर्ध-कुशल भारतीयों का प्रशिक्षण शामिल हैं। 

दोनों पक्षों ने भारत में जापान इंडस्ट्रियल टाउनशिप की मदद के लिए द्विपक्षीय प्रयासों का समर्थन किया, व्यापक आर्थिक साझेदारी करार को अधिक दूरंदेशी बनाने के लिए इसके कार्यान्वयन की समीक्षा की तथा भारतीय राज्यों और जापान के प्रांतों के बीच जुड़ाव बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच यह जुड़ाव नई दिल्ली और टोक्यो तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जापानी प्रांतों तथा भारत के राज्यों के बीच संस्थागत सहयोग के माध्यम से गहरा होगा, जिससे अवसर के नए दरवाजे खुलेंगे।

Also Read: अंबानी लाएंगे पांच धांसू प्रोडक्ट, जियो ग्लास और स्मार्ट टीवी से बदल जाएगा टेक्नोलॉजी का अनुभव

प्रधानमंत्री शनिवार सुबह जापान के कई प्रांतों के गवर्नरों को संबोधित करेंगे। बयान में कहा गया है कि राज्य-प्रांत भागीदारी हाल में आंध्र प्रदेश और तोयामा, तमिलनाडु और एहिमे, उत्तर प्रदेश और यामानाशी तथा गुजरात और शिजुओका के बीच कायम की गई है।

दोनों नेताओं द्वारा अमेरिकी शुल्क पर चर्चा किए जाने के बारे में पूछने पर भारतीय अधिकारियों ने कहा कि मोदी और इशिबा ने द्विपक्षीय मुद्दों पर ही बातचीत की। लेकिन सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र के निवेश को दोगुना करने की जापानी प्रतिबद्धता और टोक्यो का भारत को महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों, विशेष रूप से सेमीकंडक्टरों में सहायता करने का वादा, ऐसे समय में अच्छी खबर है जब भारत ट्रंप शुल्क से जूझ रहा है। 

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि भारत और जापान ने पिछले दो वर्षों में 150 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनका संचयी मूल्य 13 अरब डॉलर है।

भारत ने जापानी निवेश में वृद्धि के लिए एसएमई और स्टार्टअप की पहचान की है। मोदी ने कहा कि भारत और जापान दोनों देशों के छोटे और मध्यम उपक्रमों तथा और स्टार्टअप को जोड़ने पर विशेष ध्यान देंगे।

अन्य समझौतों में जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा, चंद्रयान-5 के प्रक्षेपण में भारत की मदद करेगी। मोदी ने कहा कि इससे एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनेगा जहां नवाचार प्रयोगशालाओं से लॉन्च पैड तक और अनुसंधान से वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों तक होगा।

हाई-स्पीड रेल परियोजना में जापानी सहायता के बारे में मोदी ने जापान में दिए गए साक्षात्कार में बताया, ‘मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना कुछ वर्षों में चालू हो जाएगी। हमने एक बड़ी महत्त्वाकांक्षी योजना देश में 7,000 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रेल नेटवर्क बनाने की पहल की है और इसमें जापानी कंपनियों की सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता हूं।’

मोदी ने बंदरगाहों, विमानन, जहाज निर्माण, सड़क परिवहन, रेलवे और लॉजिस्टिक्स में जापानी निवेश का आह्वान किया। दोनों देशों ने एक स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध एवं नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। मोदी ने कहा कि रक्षा और समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भारत और जापान के साझा हित हैं जो रक्षा उद्योग एवं नवाचार को मजबूती देंगे। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक विश्वास और स्वाभासिक तौर पर एक-दूसरे के पूरक होने के साथ हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया के लिए भी अगली पीढ़ी के रक्षा प्लेटफॉर्म को डिजाइन एवं उत्पादन कर सकते हैं।’

प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते की समीक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से इस समझौते को पूरी क्षमता के साथ लागू किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने भारत-जापान व्यापार को अधिक संतुलित बनाने के लिए उसमें विविधता लाने पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने हमारी विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी में एक नए एवं सुनहरे अध्याय की मजबूत नींव रखी है। उन्होंने कहा, ‘हमने अगले दशक के लिए एक रूपरेखा तैयार की है।’

Also Read: अमेरिकी टैरिफ का असर लंबे समय तक नहीं टिकेगा, GST और घरेलू मांग से मिलेगी मजबूती: नागेश्वरन

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले तीन क्षेत्रों की पहचान की है। इनमें रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना, आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बेहतर करना शामिल हैं। इसके अलावा दस साल की रूपरेखा में आर्थिक सुरक्षा, मोबिलिटी, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों के बीच आदान-प्रदान और भारतीय के राज्यों एवं जापान के प्रांतों के बीच जुड़ाव जैसे 8 प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।

दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण समझौता किया गया। इसमें प्रॉसेसिंग तकनीकों का विकास, अन्वेषण एवं खनन के लिए संयुक्त निवेश और दुर्लभ खनिजों के भंडार के प्रयास शामिल हैं। हाइड्रोजन और अमोनिया पर परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक अलग घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए।  दोनों प्रधानमंत्रियों ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा बढ़ाई जा रही सैन्य ताकत से उपजी स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।  मोदी और इशिबा ने नौवहन और उड़ानों की सुरक्षा एवं स्वतंत्रता को खतरे में डालने और जबरदस्ती यथास्थिति में बदलाव का प्रयास करने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया।

मोदी और इशिबा ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की भी कड़ी निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी टीम द्वारा हमले के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख करने वाली रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया।  संयुक्त बयान के अनुसार, इशिबा ने भारतीय पक्ष से 10 लाख करोड़ येन का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपने नियामक और अन्य सुधारों को जारी रखने का अनुरोध किया। 

Also Read: अंबानी लाएंगे पांच धांसू प्रोडक्ट, जियो ग्लास और स्मार्ट टीवी से बदल जाएगा टेक्नोलॉजी का अनुभव

मोदी ने भारत में निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए अतिरिक्त नियामक और अन्य सुधार करने के अपने इरादे को दोहराया और अधिक से अधिक जापानी उद्यमियों को इनका लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। दोनों नेताओं ने फुकुओका में भारतीय वाणिज्य दूतावास खुलने का स्वागत किया। इस वाणिज्य दूतावास के शुरू होने से जापान के क्यूशू क्षेत्र और भारत के बीच संबंध और मजबूत होंगे। 

उन्होंने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्वाड समूह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री ने इस साल के अंत में आयोजित होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान के प्रधानमंत्री को भारत आने का न्योता दिया।

First Published : August 29, 2025 | 10:38 PM IST