अंतरराष्ट्रीय

‘तथ्यहीन और निराधार’: नाटो प्रमुख के दावे को भारत ने खारिज किया

विदेश मंत्रालय ने कहा PM मोदी और पुतिन के बीच कोई बातचीत नहीं हुई; नाटो नेतृत्व से अधिक जिम्मेदारी की अपेक्षा

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राहुल गोरेजा   
Last Updated- September 26, 2025 | 6:49 PM IST

भारत ने शुक्रवार को नाटो महासचिव मार्क रट के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत कर यूक्रेन रणनीति पर सवाल किया। विदेश मंत्रालय ने इस बयान को “तथ्यात्मक रूप से गलत और पूरी तरह निराधार” बताया।

यह विवाद उस समय उठा जब रट ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ का समर्थन किया। उन्होंने दावा किया कि “मोदी पुतिन से यूक्रेन रणनीति समझने को कह रहे हैं क्योंकि भारत को टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिसमें आधा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने पर दंडस्वरूप है।

विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

साप्ताहिक ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “यह बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और पूरी तरह निराधार है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच इस तरह की कोई बातचीत कभी नहीं हुई। नाटो जैसी संस्था के नेतृत्व से अपेक्षा है कि वे सार्वजनिक वक्तव्यों में जिम्मेदारी और सटीकता बरतें। ऐसे अटकलों पर आधारित बयान, जो प्रधानमंत्री की भागीदारी को गलत तरीके से पेश करते हैं, अस्वीकार्य हैं।”

उन्होंने दोहराया कि भारत के ऊर्जा आयात का मकसद उपभोक्ताओं को सस्ती और भरोसेमंद ऊर्जा उपलब्ध कराना है और भारत अपने राष्ट्रीय हितों व आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा।

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अमेरिका का दबाव

वॉशिंगटन लगातार कहता रहा है कि भारत की तेल खरीद से रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद मिलती है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक और राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत की आलोचना करते हुए कहा कि सस्ते रूसी तेल की खरीद ने मॉस्को को युद्ध के लिए फंड उपलब्ध कराया।

नवारो ने यहां तक कहा कि यह “मोदी का युद्ध” है और “यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर जाता है।” भारत इन आरोपों को लगातार नकारता रहा है और कहता है कि रूसी तेल खरीद उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है। भारत ने यह भी याद दिलाया है कि पहले अमेरिकी प्रशासन ने ही वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए इस तरह की खरीद का समर्थन किया था।

First Published : September 26, 2025 | 6:40 PM IST