भारत इस समय रत्नों, तांबा, जस्ता, निकल, सोना और कोबाल्ट जैसे संसाधनों से भरपूर अफ्रीकी देश जाम्बिया में भूगर्भीय मैपिंग और खनिज अन्वेषण के लिए समझौते को अंतिम रूप देने की योजना बना रहा है। इस पहल का मकसद इन संसाधनों तक पहुंच बढ़ाना और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है।
पिछले महीने खान मंत्रालय के एक प्रतिनिधिमंडल ने जाम्बिया के अधिकारियों के साथ मुलाकात कर बातचीत की पहल की। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमने जाम्बिया की सरकार के साथ भूगर्भीय मैपिंग और खनिज अन्वेषण में सहयोग को लेकर चर्चा की। हमें भरोसा है कि जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर होंगे।’
जाम्बिया में भूगर्भीय मैपिंग और खनिज अन्वेषण के माध्यम से भारत वहां के संसाधनों की बेहतर समझ हासिल करना, महत्त्वपूर्ण खनिजों तक सुरक्षित पहुंच बनाना, आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से मांगी गई जानकारी के जवाब में खान मंत्रालय ने बताया कि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक वाजपेयी के नेतृत्व में भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने दूसरे संयुक्त कार्यसमूह (जेडब्ल्यूजी) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 10 जून से 11 जून तक जाम्बिया का दौरा किया और जाम्बिया में महत्त्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और खनन को लेकर आगे की बातचीत की।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘जाम्बिया में लीथियम, कोबाल्ट, तांबा आदि जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज की व्यापक क्षमता है। ये खनिज भारत के रणनीतिक हितों और आर्थिक वृद्धि के हिसाब से बहुत अहम हैं। इस बैठक के दौरान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने जाम्बिया को भूगर्भीय और ढांचागत मैपिंग के साथ प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग देने की पेशकश की है, जैसा कि जाम्बिया की सरकार ने मांग की थी।’
यह प्रगति ऐसे समय में हुई है, जब खान मंत्रालय ने भारत की आर्थिक वृद्धि में भूमिका निभाने वाले खनिजों के स्रोत की संभावना तलाशने का फैसला किया है।