भारत और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर चल रही पांच दिवसीय वार्ता शुक्रवार को समाप्त हो गई। इस वार्ता का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को नई गति देना है। दोनों देशों ने लगभग दस वर्षों के अंतराल के बाद 16 मार्च 2025 को एफटीए वार्ता फिर से शुरू करने की घोषणा की थी।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “पहले दौर की वार्ता 5 मई को शुरू हुई थी।” इससे पहले भारत और न्यूजीलैंड ने अप्रैल 2010 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर बातचीत शुरू की थी, लेकिन फरवरी 2015 में दस दौर की चर्चा के बाद वार्ता स्थगित हो गई थी।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, एफटीए दोनों देशों के लिए व्यापार और उपभोक्ताओं के लिए नए अवसर खोल सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 873.4 मिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 538.3 मिलियन डॉलर और आयात 335 मिलियन डॉलर का था।
हालांकि, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, वार्ता में सबसे बड़ी चुनौती शुल्क संरचना में असमानता है। न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क सिर्फ 2.3% है और इसके आधे से अधिक आयात शुल्क-मुक्त हैं, जिससे भारतीय उत्पादों को पहले से ही अच्छा बाजार मिला हुआ है। इसके विपरीत, भारत का औसत शुल्क 17.8% है, जिससे भारत को शुल्कों में महत्वपूर्ण कटौती करनी होगी, जो भारत के लिए यह एफटीए कम आकर्षक बना देता है।
न्यूजीलैंड भारत से डेयरी उत्पादों के लिए अधिक पहुंच की मांग करता रहा है, लेकिन भारत अपनी घरेलू डेयरी इंडस्ट्री की सुरक्षा के लिए इसका विरोध करता रहा है। भारत ने अब तक किसी भी व्यापार समझौते में डेयरी क्षेत्र को शुल्क रियायतें नहीं दी हैं।
भारत न्यूजीलैंड को कपड़े, दवाएं, कृषि उपकरण, पेट्रोलियम उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स, बासमती चावल आदि निर्यात करता है। वहीं न्यूजीलैंड से भारत मुख्य रूप से सेब, कीवी, मटन, कोयला, लकड़ी, दूध उत्पाद और खनिज पदार्थ आयात करता है।
सेवाओं के क्षेत्र में भी दोनों देशों का व्यापार बढ़ रहा है। FY24 में भारत ने न्यूजीलैंड को 214.1 मिलियन डॉलर की सेवाएं निर्यात कीं, जबकि न्यूजीलैंड से सेवाओं का आयात 456.5 मिलियन डॉलर का रहा। भारत आईटी, हेल्थकेयर और फिनटेक सेवाएं प्रदान करता है, वहीं न्यूजीलैंड शिक्षा, पर्यटन और उन्नत तकनीकी सेवाओं में अग्रणी है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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