हाइड्रोकार्बन पर निर्भर अर्थव्यवस्था वाले देशों कतर और गुयाना के मंत्रियों ने इंडिया एनर्जी वीक 2024 में कहा कि तेल व गैस को खतरा बताने और बगैर किसी योजना के हरित बदलाव करने से ग्राहकों और छोटे देशों पर विपरीत असर पड़ रहा है। कतर विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है, जबकि गुयाना हाल में विश्व के प्रमुक पेट्रोलियम उत्पादक देशों में शामिल हो गया है।
कतर के ऊर्जा मंत्री साद शेरिदा अल-काबी ने आईईडब्ल्यू के चर्चा सत्र में बोलते हुए कहा 2050 तक नेट जीरो की स्थिति में पहुंचने की योजना बनाने वाले ज्यादातर देशों के पास ऐसा करने की कोई योजना नहीं है।
पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए काबी ने कहा, ‘ज्यादातर देश महसूस कर रहे हैं कि वे यह लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते और वे या तो विपरीत रुख अपना रहे हैं या इस नीतिक के आधार पर फिर से चुने जाने के सपनों में जी रहे हैं। गैर जिम्मेदार तरीके से वे कह रहे हैं कि हमें जीवाश्म ईंधन की जरूरत नहीं है, जो खुद के पांव में कुल्हाड़ी मालने जैसा है।’
अल काबी ने कहा, ‘हम बिजली के स्रोत के रूप में नवीकरणीय की बात कर रहे हैं। हालांकि यह पेट्रोकेमिकल्स की जगह नहीं ले सकता। प्लास्टिक, कपड़ा, सीसा सहित आप अपने आसपास जो कुछ देख रहे हैं वह सभी जीवाश्म ईंधन से आता है। यहां तक कि इलेक्ट्रिक कार का डैशबोर्ड भी प्लास्टिक का है।’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निकट भविष्य में प्राकृतिक गैस की जरूरत बढ़ने वाली है और यूरोप के देश आगे चलकर रूस से ईंधन न खरीदने की अपनी नीति बदल देंगे।
मंत्री ने कहा कि महामारी के साथ उपलब्ध गैस आपूर्ति में कमी आने की वजह से गैस की कीमत बढ़ी है, जो बाजार के लिए बुरी बात है। मंत्री ने कहा, ‘यहां तक कि गैस उत्पादकों के हिसाह से यह बाजार खराब करने वाला है और इससे उन ग्राहकों पर बुरा असर पड़ता है, जो दीर्घावधि के हिसाब से बेहतर ग्राहक हो सकते हैं।’
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीने में भारत के कुल एलएनजी आयात में से 45 प्रतिशत कतर से आया है, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (14.1 प्रतिशत) का स्थान है। पेट्रोनेट एलएनजी ने मंगलवार को कहा कि उसने 75 लाख टन सालाना एलएनजी खरीदने के लिए कतर के साथ दीर्घावधि समझौता किया है।
गुयाना के प्राकृतिक संसाधन मंत्री विक्रम भरत ने इसी चर्चा में कहा कि कुछ देश तेल उत्पादन रोकने की कवायद कर रहे हैं, जबकि उन्हें तेल की मांग रोकने की कोशिश करनी चाहिए।उन्होंने कहा, ‘अगर आप उत्पादन रोक देते हैं और मांग बनी रहती है तो आप हमारे जैसे और अफ्रीका जैसे देशों में रह रहे लोगों पर दबाव बना रहे हैं।’
मई2019 में दक्षिण अमेरिकी देश के अपतटीय जल क्षेत्र में कच्चे तेल के भंडार की खोज हुई थी, अब गुयाना रोजाना 6,50,000 बैरल तेल का उत्पादन करता है। उसने पहले ही दो फ्लोटिंग प्रोडक्शन स्टोरेज ऐंड ऑफलोडिंग (एफपीएसओ) सक्रिय किया है और 2 और एफपीएसओ अपने जल क्षेत्र में अगले 2-3 साल में बनाने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘हम 2027 तक 12 लाख बैरल रोजाना उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं। जब हम 10 एफपीएसओ से 20 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन कर रहे हैं, हमारा देश कम कार्बन वाला है। हमारे वन की 19.6 गीगा टन कार्बन धारण की क्षमता है।’ गुयाना इस धरती पर दूसरा बड़ा वन क्षेत्र वाला देश है, जहां 98 प्रतिशत जमीन घनी वनस्पतियों से ढंकी है।