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India-US trade: भारत, ट्रंप के 25% टैक्स फैसले को अमेरिकी कोर्ट में चुनौती दे सकता है

अमेरिकी टैक्स पर भारत ने कानूनी लड़ाई और नए बाजार खोजने पर विचार किया; सरकार फिलहाल इंतजार के पक्ष में

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 08, 2025 | 10:07 AM IST

भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने वाले कार्यकारी आदेश को अमेरिका के न्यायालय (यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट) में चुनौती दे सकता है। इस न्यायालय के पास अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मामलों पर विशेष अपील का क्षेत्राधिकार है। भारत अमेरिकी वस्तुओं और वहां से होने वाले आयात पर जवाबी शुल्क भी लगा सकता है।

हालांकि, गुरुवार को सरकार के शीर्ष सरकारी मंत्रियों और अधिकारियों ने इन सुझावों को खारिज कर दिया। उनका मानना था कि नई दिल्ली को इस बात को गहराई से समझने पर ध्यान देना चाहिए कि ट्रंप ने किन अंदरूनी कारणों से शुल्क बढ़ाया है। उनके अनुसार सरकार को कोई कदम उठाने से पहले इस साल के अंत तक इंतजार करना चाहिए। साल के अंत में अमेरिका में प्रतिनिधि सभा के चुनावों की तैयारी शुरू हो जाती है और उस समय ट्रंप को बढ़ती कीमतों पर मतदाताओं की चिंताओं पर ध्यान देना होगा। मंत्रियों एवं अधिकारियों के अनुसार इस बीच भारत को अपने उत्पादों के लिए अन्य बाजारों की तलाश करनी चाहिए।

ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच प्रस्तावित बैठक एवं इससे जुड़े घटनाक्रम पर भी भारत की नजर रहेगी। गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पुतिन की भारत यात्रा की तारीखों को अंतिम रूप देने के लिए मॉस्को में थे। हालांकि, अधिकारियों ने इस अटकल को खारिज कर दिया कि पुतिन अगस्त अंत तक भारत आ सकते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस महीने के अंत में रूस का दौरा करने वाले हैं।

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फिलहाल व्हाइट हाउस के साथ भारत का संपर्क फिलहाल न के बराबर है, लेकिन भारत के अधिकारियों ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत की उम्मीद जताई। लूला और मोदी दोनों ट्रंप द्वारा अपने-अपने देशों पर लगाए गए शुल्कों के खिलाफ डंट कर खड़े रहे हैं। बुधवार को ब्राजील के राष्ट्रपति ने रॉयटर्स को बताया कि वह ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत करने की कोशिश कर स्वयं को अपमानित नहीं करेंगे।

लूला ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक सार्वजनिक बैठक में कहा कि अमेरिकी शुल्कों को ब्रिक्स का साझा जवाब देने के लिए वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और मोदी से बातचीत करेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री 31 अगस्त को शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करने वाले हैं और माना जा रहा है कि वहां चिनफिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक भी होगी। विदेश मंत्रालय ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यात्रा की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार मोदी की यात्रा का कार्यक्रम लगभग निश्चित है।

सूत्रों ने माना कि नई दिल्ली को अमेरिकी मिडवेस्ट में ट्रंप के मुख्य मतदाता आधार को समझने की कोशिश करने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। एक सूत्र ने कहा, जिस तरह हम अपने किसानों और डेरी उद्योग के हितों को नहीं छोड़ सकते हैं, उसी तरह ट्रंप भी मिडवेस्ट के किसानों के उत्पादों के लिए बाजारों की तलाश कर रहे हैं। ऐसा करना उनके लिए मध्यावधि चुनावों के लिहाज से जरूरी है क्योंकि प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन बहुमत कम है।

इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सदस्य प्रवीण खंडेलवाल के नेतृत्व वाले अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने 10 अगस्त से एक अभियान शुरू करने का संकल्प लिया है। परिसंघ देश भर में 48,000 बाजार संघों से आग्रह करेगा कि वे दुकानदारों को भारत में निर्मित उत्पादों को बेचने के लिए कहे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को तर्क दिया कि भारत को तीन सप्ताहों तक इंतजार करना चाहिए और अगर कुछ नहीं बदलता है तो अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाना चाहिए।

एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने गुरुवार को यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन ऊंचे शुल्क थोपने का कदम एकदम बेतुका और एकतरफा है। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने मुंबई में एलआईडीई ब्राजील इंडिया फोरम के मौके पर पत्रकारों से कहा, ‘शायद, यह एक ऐसा दौर है जिसे हमें पार करना होगा। बातचीत अभी भी जारी है। हमें उम्मीद है कि पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को देखते हुए समय के साथ कोई न कोई समाधान निकल आएगा।‘
रवि ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय भारतीय पक्ष से बातचीत का नेतृत्व कर रहा है और जब ट्रंप ने शुल्कों को लेकर कार्यकारी आदेश जारी किया तो कुछ समाधान नजर आ रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘हम समाधान खोजने के बहुत करीब थे। फिलहाल इसमें अस्थायी रुकावट जरूर आई है मगर बातचीत जारी रहेगी।‘ रवि ने कहा कि जब भी किसी देश को ऊंचे शुल्कों का सामना करना पड़ता है तो वह नए बाजारों की तलाश करता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के साथ भारत व्यापार बढ़ाने की संभावनाएं तलाश सकता है। उन्होंने कहा, ‘अगर अमेरिका को निर्यात करना मुश्किल हो जाएगा तो भारत स्वयं ही नए अवसरों की तलाश में जुट जाएगा।‘

First Published : August 8, 2025 | 10:07 AM IST