इधर माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन याहू को पाने के लिए बेताब है, उधर गूगल इंक भी इस बात को लेकर आशान्वित है कि याहू इंक के साथ उसकी डील पर नियामकों को कोई आपत्ति नहीं होगी।
इस मामले के एक जानकार का कहना है कि गूगल की उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि यह एक नॉन-एक्सक्लूसिव समझौता है, अधिग्रहण नहीं। याहू इंक भी माइक्रोसॉफ्ट की 42.7 अरब डॉलर की पेशकश को छोड़कर कुछ और विकल्प तलाश रही है। उसने माइक्रोसॉफ्ट की पेशकश को यह कर नकार दिया था कि वह काफी कम है। कंपनियों के गठजोड़ से बाजार में प्रतियोगिता पर पड़ने वाले असर के मामले पर अमेरिकी न्याय विभाग पैनी नजर रखे हुए है।
नाम न बताने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि गूगल को लगता है कि यह याहू के साथ जुगलबंदी प्रतियोगिता पर बुरा असर नहीं डालेगी। यह तो केवल एक व्यवस्था है जिसके जरिए याहू इंक, गूगल के विज्ञापन मंच का इस्तेमाल कर ज्यादा पैसा बना सकेगी। यह समझौता उन समझौतों की तर्ज पर होगा जैसे गूगल ने टाइम वॉर्नर इंक की एओएल और इंटरेक्टिव कॉर्प के साथ किए हैं।
गूगल का मानना है कि अगर माइक्रोसॉफ्ट याहू का अधिग्रहण करता है तो यह एंटीट्रस्ट के लिए परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि दोनों कंपनियों के हाथ मिलाने से वेब मेल से लेकर इंस्टैंट मैसेजिंग तक के बाजार में उनकी हिस्सेदारी प्रतियोगिता की सूरत बिगाड़ सकती है। हालांकि आलोचकों को लगता है कि इंटरनेट की दुनिया में गूगल की बादशाहत का इस समझौते पर उल्टा असर हो सकता है।
रेटिंग्स कंपनी हिटवाइज के मुताबिक गूगल दुनिया का सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन है और दूसरे नंबर के इंजन याहू के साथ करार के बाद दोनों बाजार के 80 फीसदी हिस्से पर काबिज हो जाएंगे।हालांकि याहू इंक की अध्यक्ष सुसैन डेकर कहती हैं कि फिलहाल गूगल को लेकर याहू के विकल्पों पर अटकलें लगाना जल्दबाजी होगी। उधर गूगल ने भी याहू के साथ बातचीत के सभी रास्ते खोल रखे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने ठाना है याहू को पाना है
याहू इंक पर कब्जा जमाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव बॉल्मर को अब विशेष जुगत भिड़ानी होगी। माइक्रोसॉफ्ट ने याहू को अल्टीमेटम दिया था कि वह 44.6 अरब डॉलर के उसके प्रस्ताव को 26 अप्रैल तक मान ले लेकिन यह तारीख गुजरने के बावजूद याहू इंक ने इस समझौते पर सहमति नहीं जताई है। जाहिर है अब इस डील को अपने पक्ष में करने के लिए बॉल्मर को ज्यादा कारगर तरीके ढूंढने होंगे।
इंटरनेट विज्ञापन की दुनिया में गूगल इंक की बादशाहत में सेंध लगाने के इरादे से माइक्रोसॉफ्ट वेब सर्च इंजनों को अपने साथ लाने तथा विज्ञापनों में वीडियो और ग्राफिक्स के बेहतर इस्तेमाल के जरिए कारोबार में चार चांद लगाने की क ोशिशों में लगी है। न्यू जर्सी स्थित आईसीएपी सिक्योरिटीज में विश्लेषक सचिन शाह कहते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इतनी आसानी से याहू को बच निक लने का मौका नहीं देगी।
कंपनी ने अपना वेब सर्च इंजन बनाने, ए क्वांटिव जैसी इंटरनेट कंपनियों को खरीदने और विज्ञापन बेचने की तकनीक विकसित करने में अरबों डालर खर्च किए हैं और वह याहू को पाने का मौका भी चूकना नहीं चाहेगी।
अगर उसे याहू का साथ मिल जाता है तो वह 41 अरब डॉलर के ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में दूसरे नंबर की कंपनी बन जाएगी। शाह कहते हैं कि माइक्रोसॉफ्ट को याहू की जरूरत है क्योंकि अगर उन्हें पीछे हटना होता तो काफी पहले हट चुके होते।सिटी ग्रुप के विश्लेषक ब्रेंट थिल और मार्क माहाने का मानना है कि सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट हर हाल में याहू को पाने के लिए प्रतिबद्ध है।