facebookmetapixel
Ashok Leyland ने Q2 में किया धमाका! ₹9,588 करोड़ का रेवेन्यू, डिविडेंड का दिया तोहफाGemini AI विवाद में घिरा गूगल! यूजर्स की प्राइवेसी लीक करने के आरोपPM Kisan Scheme: कब तक आएगी पीएम किसान की 21वीं किस्त? जानें क्यों हो रही देरीAI शेयरों की कीमतें आसमान पर, अब निवेशकों के लिए भारत बन रहा है ‘सेफ हेवन’! जानिए वजहDelhi Pollution: दिल्ली बनी गैस चेंबर! AQI 425 पार, कंपनियों ने कहा – ‘घर से ही काम करो!’Tata का Power Stock देगा मोटा मुनाफा! मोतीलाल ओसवाल का BUY रेटिंग के साथ ₹500 का टारगेटपिछले 25 वर्षों में राजधानी दिल्ली में हुए 25 धमाकेNPS, FD, PPF या Mutual Fund: कौन सा निवेश आपके लिए सही है? जानिए एक्सपर्ट सेसोने में फिर आने वाली है जोरदार तेजी! अक्टूबर का भाव भी छूटेगा पीछे – ब्रोकरेज ने बताया नया ऊंचा टारगेटसिर्फ एक महीने में 10% उछले रिलायंस के शेयर! ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लो, अब ₹1,785 तक जाएगा भाव!

रक्षा करार पर रूसी पाबंदी का असर

Last Updated- December 11, 2022 | 9:02 PM IST

यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत की मुश्किलें भी बढ़ती दिख रही है जो बड़ी तादाद में अपने रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने गुरुवार को जी-7 देशों के नेताओं के साथ हुई अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि रूस पर और भी सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे। व्हाइट हाउस द्वारा घोषित प्रतिबंधों में ‘पुतिन की सैन्य और रणनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं को झटका देने के लिए रूस की सेना पर लगाए जाने वाले व्यापक प्रतिबंध’ शामिल हैं।
व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया, ‘अमेरिका के कुछ सॉफ्टवेयर, प्रौद्योगिकी या उपकरणों का इस्तेमाल कर विदेश में तैयार होने वाली लगभग सभी वस्तुओं और अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात, लक्षित सैन्य उपयोगकर्ताओं तक सीमित होगा। ये व्यापक प्रतिबंध, रूस के रक्षा मंत्रालय पर लागू होते हैं जिसमें कहीं भी मौजूद रूस के सशस्त्र बल शामिल हैं।’
व्हाइट हाउस ने कहा, ‘इसमें रूस को संवेदनशील प्रौद्योगिकी के निर्यात की मनाही भी शामिल है जो मुख्य रूप से रूस के रक्षा, विमानन और समुद्री क्षेत्रों को लक्षित करते हैं ताकि रूस को प्रमुख प्रौद्योगिकी की पहुंच से अलग-थलग किया जा सके।’ रूस और भारत के बीच रक्षा कारोबार तेजी से बढ़ रहा है और फिलहाल 15 अरब डॉलर से अधिक का अनुबंध पाइपलाइन में है।
2019 में स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट ने रूस को वर्ष 2014-18 से भारत के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में रखा जिसका भारत के कुल रक्षा निर्यात में 58 प्रतिशत का योगदान है। भारतीय वायु सेना रूस के वायु रक्षा उपकरणों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार है जिनमें से अधिकांश विवादास्पद खरीद है जैसे कि 5.43 अरब डॉलर के करार से ली जाने वाली पांच एस-400 ट्रायम्फ  वायु रक्षा इकाई। अमेरिका ने इस खरीद पर कड़ी आपत्ति जताई है और भारत को भी 2017 के कानून सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट) के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। यह उन देशों के खिलाफ  भी प्रतिबंधों को अनिवार्य बनाता है जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ रक्षा और खुफिया संस्थाओं के साथ ‘महत्त्वपूर्ण लेन-देन’ से जुड़े हैं। अमेरिका की कांग्रेस ने अमेरिका के राष्ट्रपतियों को इन प्रतिबंधों को माफ  करने का अधिकार दिया है लेकिन अमेरिका के सूत्रों का कहना है कि यह छूट केवल अपवाद वाले मामलों में दी जाएगी।
 यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की वजह से पश्चिमी देशों की राजधानियों में लोगों के आक्रोश को देखते हुए, एस-400 पर भारत को किसी भी तरह की छूट मिलने की संभावना नहीं दिख रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से गुरुवार को एक संवाददाता ने जब पूछा कि अमेरिका का एक ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ भारत, रूस को लेकर अमेरिका के साथ बात कर रहा है इस पर उन्होंने कहा, ‘हम आज भारत के साथ परामर्श कर रहे थे। हमने अभी इस पर पूरी बात नहीं की है।’
 भारत, रूस और यूक्रेन के बीच एक और भी जटिल मुद्दा है जो भारत द्वारा चार रूस के क्रिवाक-3 युद्धपोत की खरीद से जुड़ा है और इसका संबंध तीन देशों के बीच 3 अरब डॉलर के अनुबंध से जुड़ा है। इनमें से दो की आपूर्ति पूरी तरह से रूस में तैयार करके की जानी है जबकि बाकी दो युद्धपोत गोवा शिपयार्ड में बनाए जाने हैं। हालांकि, ये युद्धपोत यूक्रेन की जोरिया गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित होते हैं जिसे कीव ने 2014 के बाद उस वक्त रूस को आपूर्ति करने से इनकार कर दिया था जब रूस ने क्रीमिया के यूक्रेन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। कुछ मुश्किलों के बाद भारत ने एक ऐसी व्यवस्था पर बातचीत की जिसके लिए भारत को यूक्रेन से जोरिया टर्बाइन खरीदने और उन्हें रूस के यांतर शिपयार्ड में ले जाने की आवश्यकता होगी जहां दो क्रिवाक-3 युद्धपोत स्थापित किए जाएंगे और फिर उन्हें भारत में भेजा जाएगा। अब यूक्रेन द्वारा रूस को जोरिया टर्बाइनों की आपूर्ति करने की संभावना नहीं है। ऐसे में भारत को इन युद्धपोतों को चालू करने के लिए कोई दूसरा रास्ता खोजना होगा।
भारत इस समय अपने 100 से अधिक एंटोनोव-32 परिवहन विमान में और अधिक खूबियां जोडऩे के लिए यूक्रेन पर निर्भर है। यह परिवहन विमान बनाने वाली कंपनी एंटोनोव यूक्रेन में है और इसमें इस्तेमाल होने वाले विभिन्न कलपुर्जे पूर्व सोवियत संघ के विभिन्न देशों से आते हैं। अब रूस इन कल-पुर्जों की आपूर्ति रोक रहा है इसलिए एंटोनोव को एएन-32 को अद्यतन करने के लिए अपने यहां सामान एवं प्रणाली तैयार करनी पड़ रही है। यूक्रेन की उच्च तकनीक वाले हथियार उद्योग ने पाकिस्तानी सेना को करीब 320 उच्च गुणवत्ता वाले टी-80यूडी टैंकों की आूपर्ति की है। भारत को रूस को मनाने के तरीके खोजने होंगे मगर यह इतना आसान नहीं होगा। नई दिल्ली में रूस के प्रतिनिधि रोमन बबुश्किन ने कहा कि उनका देश यह उम्मीद करता है कि शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन संकट पर मतदान के समय भारत जैसे विशिष्ट और खास रणनीतिक साझेदार से उसे पहले की तरह ही समर्थन मिलता रहे। बबुश्किन ने कहा, ‘भारत ने मौजूदा संकट और इसके कारणों को लेकर काफ ी समझदारी दिखाई है और हम इसका स्वागत करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत यूक्रेन संकट पर रूस का समर्थन करेगा।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन से टेलीफोन पर बात की थी। इस बातचीत में उन्होंने लड़ाई तत्काल रोकने और सभी पक्षों से बातचीत करने का आग्रह किया था। भारत साथ नजदीकी सामरिक संबंधों को लेकर यूक्रेन संकट पर खुलकर रूस का विरोध नहीं कर पा रहा है। हालांकि भारत और रूस में हथियारों के सौदे की रणनीतिक अहमियत को देखते हुए कुछ अपनी बाध्यताएं हैं। वर्ष 2019 में भारत ने रूस के साथ 3 अरब डॉलर का सौदा किया था जिसके तहत इसे 2025 से अगले दस वर्षों तक परमाणु क्षमता वाली रूसी पनडुब्बी पट्टे पर देने पर सहमति बनी थी।  दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में कई दूसरे सौदों पर भी काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में एक संयंत्र का उद्घाटन किया था जिसमें भारतीय सेना के लिए 7.5 लाख एके-203 कलाश्निकोव राइफल बनाए जाएंगे।
भारतीय वायु सेना भी 21-मिग लड़ाकू विमान खरीदना और इसमें और खूबियां जोडऩा चाहती है। वायु सेना ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में 18 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान बाने के लिए भी एक अनुबंध का प्रस्ताव दिया है। यह सौदा 80 करोड़ डॉलर का हो सकता है।

First Published - February 25, 2022 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट