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COP28 के अध्यक्ष ने जारी किया नवीनतम मसौदा, मगर जीवाश्म ईंधन खत्म करने का जिक्र नहीं

मसौदे में जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्पादन को उचित और न्यायसंगत तरीके से कम करने का आह्वान किया गया है ताकि 2050 तक या उससे पहले नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- December 11, 2023 | 11:39 PM IST

कॉप28 के अध्यक्ष की ओर से आज जारी नवीनतम मसौदे में जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि मसौदे में 2030 तक वै​श्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता में सुधार की औसत वा​र्षिक दर दोगुना करने सहित कई उपाय अपनाए जाने की बात कही गई है।

दुबई में चल रहे कॉप28 सम्मेलन में अंतिम बयान में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने को लेकर सदस्य देशों के बीच ​विभाजन साफ नजर आया। 3 दशक से अ​धिक समय से होने वाले जलवायु वार्ताओं में यह मांग पहली बार उठी है जिसे 100 देशों का समर्थन हासिल है। लेकिन मेजबान देश संयुक्त अरब अमीरात और रूस सहित पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने इसका विरोध किया और वह मांग को दरकिनार करने में सफल रहा।

मसौदे में जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्पादन को उचित और न्यायसंगत तरीके से कम करने का आह्वान किया गया है ताकि 2050 तक या उससे पहले नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। इस मसौदे को कॉप के अध्यक्ष सुल्तान अल जबेर के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है, जो संयुक्त अरब अमीरात की सरकारी तेल दिग्गज अबु धाबी नैशनल ऑयल कंपनी के मुख्य कार्या​धिकारी भी हैं।

हालांकि इसमें यूरोपीय संघ और अमेरिका की पहल से अकुशल जीवाश्म ईंधन स​ब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है जो अनावश्यक खपत को प्रोत्साहित करती हैं और ऊर्जा गरीबी या बदलाव को प्रेरित नहीं करती है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के ​खिलाफ लड़ाई के लिए इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की जरूरत महसूस की गई है लेकिन सभी देशों को एक ही समय में इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता नहीं है।

यह मसौदा 2015 के पेरिस समझौते के तहत पहला वै​​श्विक बयान है जिसमें औसत वै​श्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री से​ल्सियस से नीचे सीमित करने और 1.5 फीसदी तक रोकने पर जोर दिया गया था। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से पहले ही ग्लोबल वार्मिंग करीब 1.1 डिग्री से​ल्सियस बढ़ चुका है। कॉप के मसौदे में 1.5 डिग्री से​ल्सियस लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया है और 2023 के सबसे गर्म वर्ष होने को लेकर चिंता व्यक्त की गई।

मसौदे में शताब्दी के मध्य में या इससे पहले निम्न कार्बन ईंधन का उपयोग करने का आह्वान किया गया है। वै​श्विक पटल पर जैव ईंधन के लिए समर्थन जुटाने में भारत की भूमिका अहम रही और उसने कॉप28 से इतर वै​श्विक जैव ईंधन गठबंधन को आगे बढ़ाया है।

मसौदे में अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को बढ़ाने का आह्वान किया गया क्योंकि यह पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में पीछे हैं।

First Published : December 11, 2023 | 11:04 PM IST