राष्ट्रपति जो बाइडन लोकतंत्र पर दो दिवसीय डिजिटल शिखर सम्मेलन का समापन चुनावी ईमानदारी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए, निरंकुश शासनों का मुकाबला और स्वतंत्र मीडिया को मजबूत बनाने के संकल्प के साथ करना चाहते हैं। शिखर सम्मेलन के पहले दिन, बाइडन ने स्वतंत्र मीडिया, भ्रष्टाचार रोधी कार्यों और अन्य का समर्थन करने के लिए दुनिया भर में 42.4 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की अमेरिका की योजना की घोषणा की। इस पहल की घोषणा उन्होंने दुनिया भर में लोकतंत्र की कथित खतरनाक स्थिति को पलटने के लिए विश्व के नेताओं से उनके साथ काम करने का आह्वान करते हुए की।
बाइडन ने पूछा, ‘क्या हम अधिकारों और लोकतंत्र के अवमूल्यन को अनियंत्रित रूप से जारी रहने देंगे? या हम साथ मिलकर एक दृष्टिकोण बनाएंगे और एक बार फिर मानव प्रगति और मानव स्वतंत्रता की यात्रा को आगे बढ़ाने का साहस दिखाएंगे?’ उन्होंने चीन और रूस का नाम लिए बिना बार-बार यह बात उठाई कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र निरंकुशता की तुलना में समाज के लिए एक बेहतर माध्यम है। यह बाइडन की विदेश नीति के दृष्टिकोण का एक केंद्रीय सिद्धांत है, एक ऐसी प्रतिबद्धता है जिसे वह अपने पूर्ववर्ती ट्रंप के ‘अमेरिका फस्र्ट’ दृष्टिकोण की तुलना में अधिक समावेशी बताते हैं। गुरुवार को हुए इस सम्मेलन की अमेरिका के मुख्य विरोधियों और अन्य देशों ने आलोचना की जिन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिका में चीन और रूस के राजदूतों ने एक संयुक्त लेख लिखा जिसमें बाइडन प्रशासन को ‘शीत-युद्ध की मानसिकता’ का प्रदर्शन करने वाला बताया गया, जो ‘वैचारिक टकराव को हवा देगा और दुनिया में दरार पैदा करेगा।’ शिखर सम्मेलन में अन्य नेताओं ने लोकतंत्र की स्थिति पर अपनी-अपनी टिप्पणी दी जिनमें से कई रिकॉर्डेड थीं। उनकी टिप्पणियों में तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी के उनके राष्ट्रों पर पड़ रहे तनाव को दर्शाया गया। उन्होंने संस्थानों और चुनावों को कमजोर करने के उद्देश्य से दुष्प्रचार अभियानों की वृद्धि पर भी शोक व्यक्त किया।
