विश्व बैंक ने कहा है कि पिछले तीन साल में खाद्य पदार्थों की कीमतें दोगुनी होने से विकासशील देशों में करीब दस करोड़ लोगों पर गरीबी की मार बढ़ सकती है और इस संकट से जनता को उबारने के लिए सरकारों को अवश्य कदम उठाने चाहिए।
विश्व बैंक के अध्यक्ष रोबर्ट जोएलिक ने कल विश्व इकाई की एक महत्वपूर्ण बैठक की समाप्ति के बाद एक बयान में कहा “एक विश्लेषण के अनुसार, हमारा अनुमान है कि पिछले तीन साल में खाद्य पदार्थों की कीमतों के दोगुना होने से निम्न आय वाले देशों में करीब दस करोड़ लोग और भारी गरीबी में फंस सकते हैं।” उन्होंने कहा “यह केवल दीर्घकालिक जरूरतों संबंधी सवाल नहीं है। इसका संबंध यह सुनिश्चित करने से है कि भावी पीढ़ियों को भी इसकी कीमत न चुकानी पड़े।” सरकारों से इस संकट के समाधान के लिए कदम उठाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा “हमें अपने धन को वहां लगाना है जहां आज उसकी जरूरत है ताकि हम भोजन को भूखे लोगों के मुंह तक पहुंचा सकें।” बैठक की पूर्व संध्या पर जोएलिक ने कहा था कि संकट का मतलब यह हो सकता है कि पूरी दुनिया में गरीबी से लड़ने में “सात साल का समय बर्बाद हो चुका है।”
गौरतलब है कि विश्व बैंक के 185 सदस्य देशों तथा इसके प्रमुख संस्थान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की बैठक में खाद्य संकट पर व्यापक रूप से गौर किया गया। मुद्रा कोष के प्रबंध निदेशक डोमेनिक स्ट्रास काह्न ने शनिवार को कहा “यदि खाद्य पदार्थो की कीमतें उसी प्रकार बढ़ती रहीं जिस तरह से वे आज बढ़ रही हैं तो इसके परिणाम भयानक होंगे।”
उन्होंने चेतावनी दी “इतिहास जैसा बताता है, इस प्रकार के सवालों की समाप्ति युध्दों के रूप में होती है।” एक संवाददाता सम्मेलन में स्ट्रास ने चेतावनी को दोहराते हुए कहा कि यह एक “विशाल समस्या” है जिसने सालों के विकास को दांव पर लगा दिया है और इससे गंभीरता से निपटने की जरूरत है।