अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने पिछली सरकारों के पूर्व अधिकारियों से देश लौटने की अपील की है। अखुंद ने उन्हें पूरी सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में रक्तपात के दौर का अंत हो गया है तथा अब युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण की एक बड़ी जिम्मेदारी है।
इस बीच, ऐसी खबरें आ रही हैं कि अफगानिस्तान में अंतरिम तालिबान सरकार के सदस्यों के लिए 11 सितंबर को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जा सकता है। 20 वर्ष पूर्व इसी तारीख को अमेरिका में वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था। हालांकि तालिबान नेताओं ने कहा है कि तारीख को अंतिम रूप नहीं दिया है। काबुल में अंतरिम मंत्रिमंडल की घोषणा होने के एक दिन बाद अखुंद ने कहा, ‘हमने अफगानिस्तान में इस ऐतिहासिक क्षण को देेखने के लिए भारी कीमत चुकाई है। हम पिछली सरकारों के अधिकारियों से देश लौटने की अपील करते हैं और हम उन्हें पूर्ण सुरक्षा देंगे। हमारे पास अब युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की एक बड़ी जिम्मेदारी है।’
पहली उड़ान में अमेरिका व पश्चिम के नागरिक
तालिबान की अंतरिम सरकार आने वाले घंटों में 100 से 150 अमेरिकी नागरिकों को काबुल से रवाना होने वाली पहली उड़ान में सवार होने की अनुमति देंगे। कतर के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। ्रअमेरिकी सैनिकों के देश से हटने के बाद काबुल हवाईअड्डïे से पहली ऐसी उड़ान होगी। अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के नागरिकों का एक बड़ा समूह गुरुवार को कतर एयरवेज की एक उड़ान से रवाना होगा। काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डïे पर कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन माजिद अल-कहतानी ने कहा कि उड़ान अमेरिकी और पश्चिमी देशों के नागरिकों को लेकर रवाना होगी।
सरकार को मान्यता की हड़बड़ी नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि बाइडन प्रशासन अफगानिस्तान में नई अंतरिम सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी नहीं करेगा। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार अमेरिका अपने नागरिकों को संकटग्रस्त देश से निकालने के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है। तालिबान ने मंगलवार को मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में एक कार्यवाहक मंत्रिमंडल की घोषणा की थी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका काबुल में नए शासन को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। इस बीच, विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि दीर्घकालिक स्थायी ऐतिहासिक संबंधों के कारण और निकटतम पड़ोसी होने के नाते भारत के लिए अफगानिस्तान का घटनाक्रम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।